यह है पूरा मामला
शहर की अमृतसागर कॉलोनी के निवासी व अधिवक्ता प्रशांत ग्वालियरी ने 14 फरवरी को अमृतसागर तालाब में व्याप्त जलकुंभी व गंदगी के कारण पैदा होने वाले मच्छरों व बाजना बस स्टैंड, दीनदयाल नगर व अमृत सागर रोड की खराब सड़कों के कारण उडऩे वाली धूल से व्यथित होकर पीठासीन अधिकारी जन उपयोगी लोक अदालत के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया था। इस पर अदालत ने 31 अगस्त को आयुक्त एसके सिंह को आदेश दिया था कि सार्वजनिक रोड व अमृत सागर तालाब के आस-पास साफ-सफाई की व्यवस्था व मच्छरों पर नियंत्रण के लिए क्षेत्रों में कीटनाशक का छिड़काव कराया जाए। आदेश जारी होने के 35 दिन तक इस मामले में नगर निगम ने कुछ नहीं किया। इसके बाद जनउपोगी अदालत के सामने अवमानना का आवेदन दिया, जिसमें १२ अक्टूबर तक निगम आयुक्त को अपना पक्ष रखना था।
ये दिया जवाब निगम अभिभाषक ने
12 अक्टूबर को कोर्ट में नगर निगम की तरफ से अभिभाषक त्रिपाठी ने स्वच्छता के फोटो तो दिखाए, इसके अलावा लिखित में जवाब भी दिया। त्रिपाठी के अनुसार कोर्ट को बताया गया कि तालाब की नियमित सफाई होती है। याचिका को पक्षकार को सिर्फ परेशान करने के लिए लगाया गया है। तालाब में दवाई का छिड़काव नियमित किया जाता है व कीटनाशक भी डाला जाता है। इसके बाद अभिभाषक त्रिपाठी के तर्क से सहमत होकर कोर्ट ने तालाब को लेकर लगी याचिका को खारिज कर दिया।