scriptसजा सुनते ही रोने लगा रिश्वतखोर | Bribery started crying as soon as he heard the punishment | Patrika News
रतलाम

सजा सुनते ही रोने लगा रिश्वतखोर

सजा सुनते ही रोने लगा रिश्वतखोर

रतलामSep 06, 2019 / 11:07 am

kamal jadhav

सजा सुनते ही रोने लगा रिश्वतखोर

सजा सुनते ही रोने लगा रिश्वतखोर

रतलाम। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायालय में आरोपी छबलदास को सजा सुनाए जाने के बाद काफी देर तक फैमेली ड्रामा हुआ। आरोपी सजा सुनते ही सीने पर हाथ रखकर रोने लगा । उसे स्टाफ और अधिवक्ताओं ने संभाला। बाद में उसकी पत्नी मौके पर पहुंची और रोते हुए न्यायाधीश को अपना भाई बताने लगी। उसने कहा कि रात में न्यायाधीश उसके सपने में भी आए थे। उसने तब भी आरोपी को छोडऩे की विनती की थी। वह उन्हें अपना भाई मानती है और राखी भी साथ लेकर आई है। न्यायालय ने फैसला हो जाने का हवाला देते हुए सबको बाहर कर दिया।

जावरा एसडीएम कार्यालय में पदस्थ रहे स्टेनो टाइपिस्ट छबलदास (सीडी) ललवानी पिता टेकचंद ललवानी 52 वर्ष को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश राजेंद्र कुमार दक्षिणे ने सरपंच से रिश्वत लेते पकड़ाए जाने के मामले में चार साल की सजा सुनाई है। आरोपी पर सात हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। आरोपी के बड़े भाई लक्ष्मणदास ललवानी 65 वर्ष को कोर्ट ने बरी कर दिया है। आरोपी छबलदास इसी भाई लक्ष्मणदास की दुकान पर रेवास के तत्कालीन सरपंच दरबार सिंह से 12 अगस्त 2010 को रिश्वत के 15 हजार रुपए लिए थे। स्टेनों द्वारा रिश्वत लेते पकड़ाए जाने का यह मामला 12 अगस्त 2010 का है।

25 हजार की मांग की थी आरोपी ने
अभियोजन के अनुसार जावरा विकासखंड के रेवास गांव के तत्कालीन सरपंच दरबारसिंह ने लोकायुक्त एसपी उज्जैन को 10 अगस्त 2010 को शिकायत की थी कि जावरा एसडीएम कार्यालय में पदस्थ स्टेनो टाइपिस्ट सीडी ललवानी ने उससे एसडीएम कोर्ट में चल रहे एक मामले में 25 हजार रुपए की मांग की है। यह राशि उसने फैसला फरियादी के पक्ष में नहीं करने के एवज में मांगे थे। दरबार सिंह की शिकायत पर वाइस रिकार्डर से पूरी बातचीत रिकार्ड की गई और इसके बाद 12 अगस्त को व्यूह रचना करके स्टेनो टाइपिस्ट ललवानी को राशि देने की तैयारी की। पहली किस्त के रूप में 15 हजार देने का सौदा तय हुआ। स्टेनो टाइपिस्ट ने यह राशि देने के लिए दरबारसिंह को अपने भाई लक्ष्मणदास की दुकान नूतन किराना स्टोर पर बुलाया। फरियादी ने लोकायुक्त द्वारा रंग लगाकर दिए गए 15 हजार रुपए स्टेनो टाइपिस्ट छबलदास को उसके भाई की दुकान में जाकर दिए। उसने यह राशि लेने के तुरंत बाद अपने बड़े भाई लक्ष्मणदास को दे दी थी। बाहर आकर इशारा किया तो लोकायुक्त टीम ने छबलदास को गिरफ्तार किया लेकिन राशि उसके भाई लक्ष्मणदास के हाथ में होने से दोनों को गिरफ्तार करके आरोपी बनाया था। लोकायुक्त के तत्कालीन डीएसपी उसके भाई को लोकायुक्त पुलिस ने धरदबौचा था।
यह था पूरा मामला
उपसंचालक अभियोजन एसके जैन ने बताया शिकायतकर्ता रेवास के तत्कालीन सरपंच दरबार सिंह ग्राम पंचायत सरपंच का चुनाव जीते थे। उन्होंने प्रतिद्वंद्वि कालूसिंह को एक वोट से हराया था। इस पर कालूसिंह ने एसडीएम कार्यालय में वोटों की पुनर्गणना की याचिका एसडीएम जावरा की कोर्ट में लगाकर जीत को चैलेंज किया था। जावरा एसडीएम कार्यालय में पदस्थ स्टेनो टाइपिस्ट छबलदास ललवानी ने सरपंच दरबार सिंह से कहा कि तुम २५ हजार रुपए दो। तुम्हारे पक्ष में फैसला करवा देंगे, वरना काबूलखेड़ी के सरपंच की तरह बर्खास्त हो जाओगे। काबुलखेड़ी सरपंच को भी पद से हटा दिया गया था। इसकी शिकायत दरबार सिंह ने लोकायुक्त एसपी उज्जैन को की थी। पहली किस्त के रूप में 15 हजार रुपए देना थे। इसके लिए 12 अगस्त की तारीख तय हुई जिस पर दरबार सिंह राशि लेकर लोकायुक्त उज्जैन पहुंचे और वहां से उनके साथ डीएसपी ओपी सागोरिया, डीएसपी वायपी सिंह, निरीक्षक दिनेश पटेल सहित प्रधान आरक्षक और आरक्षकों की टीम तैयार करके फरियादी के साथ भेजी गई। मोबाइल पर संपर्क करने पर ललवानी ने राशि लेकर भाई की दुकान बुलाया। फरियादी के पहुंचने के कुछ देर बाद वह पहुंचा और फिर अंदर के कमरे में बैठकर राशि देते ही लोकायुक्त ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दे दिया।

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