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रतलाम

मदद का जज्बा ऐसा की मुफ्त में बांट दी अपने खेत की सब्जियां

लॉकडाउन में किया शहर के युवाओं ने बड़ा काम

रतलामJun 21, 2020 / 05:36 pm

Yggyadutt Parale

मदद का जज्बा ऐसा की मुफ्त में बांट दी अपने खेत की सब्जियां

मदद का जज्बा ऐसा की मुफ्त में बांट दी अपने खेत की सब्जियां

रतलाम। कोरोना वायरस के दौरान जब लॉकडाउन लगा तब शहर में सबसे पहली समस्या आमजन के लिए दैनिक खानपान में सब्जी की थी। तब कुछ युवाओं ने अपने खेत में उगी हुई सब्जियों के पैकेट बनाए व प्रशासन की मंजूरी लेकर शहर के कई मोहल्लों में पूरे लॉकडाउन में नि:शुल्क वितरण किया। इतना ही नहीं, इस दौरान जब राशन की जरुरत पड़ी तो उसका वितरण भी किया। इससे बड़ा लाभ यह हुआ कि लॉकडाउन में समाज का कमजोर वर्ग अपने घर में ही रहा।
शहर के कलईगर रोड पर रहने वाले इमरान खान सहित कई युवाओं ने अपने खेत में उगी भिंडी, लौकी, आलू, टमाटर, प्याज, लहसुन, चंवरा फली सहित ककड़ी आदि का वितरण करीब ६५ दिन से अधिक समय तक शहर के विभिन्न मोहल्लों में किया। यह वितरण कार्य सुबह ८ बजे से शुरू होता व शाम ६ बजे तक चलता। इसके बाद रात ९ बजे से यह युवा जरुरत के अनुसार फिर से पैकिंग के कार्य में लग जाते। इसके लिए दो टीम का गठन इन्होंने किया। इसमे एक दल वितरण का कार्य करती तो दूसरा दल पैकिंग का कार्य करता।
इनका रहा सहयोग
अपने खेत से सब्जी, राशन की व्यवस्था, सैनिटाईजर, मास्क, रक्तदान आदि के कार्य में हाजी युनूस ताज, हाजी इमरान ताज, रिजवान ताज, अशरफ बेलिम, अमजद खोकर, सलीम गौरी का प्रमुख सहयोग रहा। पैकिंग से लेकर वितरण कार्य में सुबह से लेकर देर रात तक इमरान लाला, आमिर खन्नी, तारूक गौरी, यासिर ताज, मो. जुनैद, इमरान शानू, बबूलू गौरी, सोहिल नियारगर, आसिम खान, शकील बागवान, अबू मुत्तलीब आदि लगे रहे।
यह हुआ इससे लाभ

– शहर के कई मोहल्लों में समाज को बाहर आने से रोकने में सफलता मिली।
– समय पर सब्जी, राशन कीट के वितरण से कोरोरा कॉल में शहर परेशानी से बचा।
– सैनिटाईजर व मास्क की मांग होने पर इसका वितरण समाज के कमजोर बस्ती में किया गया।
– यहां तक की जब रक्त की कमी ब्लड बैंक में हुई तो युवा यहां भी पहुंचकर कई जिंगदी बचाने में मददगार साबित हुए।
शहर की पहचान का धर्म निभाया


रतलाम की पहचान सर्वधर्म सम्मान व एकता की है। उपरवाले ने इस लायक बनाया की सेवा का कार्य कर सकें, उसके लिए उनका शुक्रि या। कुछ नया नहीं किया, जो पूर्वजों से संस्कार मिले है, शहर की पहचान के, उसी को कायम किया है। आमजन से अपील है कि वे अपने घर में ही रहे, क्योंकि कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है।
– इमरान खोकर, समाजसेवी

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