निलंबित व्याख्याता बना सीएम सचिव, डीआईजी का माली बन गया पीए और एसआई बनकर रची जालसाजी की साजिश
नौकरी दिलवाने पति-पत्नी ने साथियों के साथ मिलकर 8 पीडि़तों से लूटे साढ़े पांच लाख
निलंबित व्याख्याता बना सीएम सचिव, डीआईजी का माली बन गया पीए और एसआई बनकर रची जालसाजी की साजिश
जावरा/रतलाम। सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर जावरा, रतलाम, मंदसौर और नागदा के युवकों के साथ मुख्यमंत्री का सचिव, डीआईजी का पीए और सब इंस्पेक्टर बनकर धोखाधड़ी की साजिश रचने वाले तीन आरोपियों को पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार कर लिया है। महिला की तलाश जारी है। आरोपियों को आज न्यायालय में पेश किया जाएगा।
नगर पुलिस अधीक्षक अगम जैन ने बताया कि शासकीय यूनिवर्सिटी और कॉलेज में भृत्य के पद नौकरी दिलाने के नाम पर जावरा, रतलाम, मंदसौर और नागदा के युवकों के साथ धोखाधड़ी कर उनसे ५ लाख ५० हजार रुपए ठग लिए थे। आरोपी पूनमचन्द बांधेवाल (54) निवासी भोपाल ने खुद को मुख्यमंत्री का सचिव, पत्नी आशा बांधेवाल ने मुख्यमंत्री कार्यालय में लिपिक, डॉ. रणजीतसिंह ने स्वयं को डीआईजी का पीए और गोपाल परिहार ने सब इंस्पेक्टर बताकर रुपए लिए है।
मरीज बना था गोपाल
शालीगराम धाकड़ ने बताया कि अस्पताल रोड पर धाकड़ लैब पर काम करता है, उस दौरान गोपाल जो कि मूलत: ताल का निवासी है, मरीज बनकर उसके यहां जांच करवाने आया था, उसके बाद वह कई बार उसके पास आया, उसने उसे सरकारी नौकरी लगाने की बात कही, धाकड़ ने उसकी बात पर भरोसा कर अपने परिचितों को भी नौकरी लगवाने की बात बताई। जिस पर 20 अगस्त 2017 को एमपी 04 पीसी 4519 से जावरा मिलने पहुंचे, उस दौरान उन्होंने अपना परिचय मुख्यमंत्री का सचिव, डीआईजी का पीए और सीएम ऑफिस का क्लर्क बताते हुए कहा कि उन्होंने कई लोगों की नौकरी लगवाई है, उन्हें भी वे शासकीय यूनिवर्सिटी में भृत्य के पद पर लगवा देंगे। इसके लिए सभी से 3 लाख रुपए में सौदा तय हुआ और युवकों ने नौकरी के लिए आवेदन व दस्तावेज दे दिए। आवेदन के 75 हजार रुपए, मुकेश, निलेश और विनोद ने 50-50 हजार रुपए टोकन मनी के रुप में दे दिए। शेष राशि कॉल लेटर आने के बाद देने की बात तय हुई। उसके बाद लम्बा समय बीतने के बाद भी जब नौकरी नहीं लगी तो युवकों ने इसकी शिकायत जावरा थाने पर की थी।
उज्जैन से गिरफ्तार
पुलिस ने आरोपी पूनमचन्द्र, रणजीत और गोपाल को उज्जैन से गिरफ्तार किया। सीएसपी जैन ने बताया कि स्वयं को मुख्यमंत्री का सचिव बताने वाला पूनमचन्द्र जो कि शिक्षा विभाग में लेक्चरार के पद पर पदस्थ था, जिसे किसी कारण से निलंबित कर दिया था, वहीं उसकी पत्नी आशा भी मुख्यमंत्री कार्यालय में लिपिक ना होकर शिक्षा विभाग में युडीसी के पद पर पदस्थ है। वहीं खुद को डीआईजी का पीए बताने वाला रणजीत दरअसल डीआईजी के बगंले पर माली का काम करता था। वहीं गोपाल परिहार कहीं भी कार्यरत नहीं था। इन चारों आरोपियों ने मिलकर आरोपियों ने धोखाधड़ी कर युवाओं से करीब साढे पांच लाख लूट लिए है।