कहते हैं इन्हें चिकित्कीय मैनेजमेंट गुरु रतलाम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ.जितेंद्र गुप्ता को चिकित्सा स्वास्थ्य के क्षेत्र में अच्छे मैनेजर के तौर पर भी जाना जाता है। गुप्ता पैरामेडिकल कोर्स की शुरूआत समय से पहले कराने में सफल रहे। इसके बाद अब 21 डिपार्टमेंट में पीजी कोर्स की शुरूआत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। बकौल डॉ गुप्ता चिकित्सा जगत में इलाज को लेकर रोजाना नई विधाएं आ रही हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में सामंजस्य और संवेदनहीनता के चलते डॉक्टर और मरीजों के बीच एक खाई बन गई है। इसे दूर करने के लिए कम्यूनिकेशन की सख्त जरूरत है। हम आने वाले नए चिकित्सों को इस पर भी काम करने की शिक्षा दे रहे हैं।
——————————- संक्रमण को रोका, अब एम्बुलेंस की संख्या बढ़ी कोरोना संकट काल में लोगों को शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रभाकर ननावरे का नाम याद होगा। सीएमएचओ ननावरे के मैनेजमेंट से रतलाम जिले फैलते संक्रमण पर तेजी से काबू पाया जा सका था। उनके निर्देश में निरंतर जिले की टीम ने दिन-रात काम किया। अभी हाल ही में सीएमएचओ के 108 एम्बुलेंस को लेकर ऐसा नया प्रयोग किया है। जिले में सभी शासन और जनप्रतिनिधियों की एम्बुलेंस इंधन और ड्राइवरों के कमी के कारण खड़ी हुई थी। जिसे अब 108 मैनेजमेंट को संचालन के लिए सौंपा गया है।
दो बार संक्रमित फिर भी मरीजों की सेवा जिला अस्पताल के सीएस डॉ. आनंद चंदेलकर ने कोविड काल के दौरान सीएस होने के बाद भी एमडी मेडिसीन चिकित्सक के तौर पर काम किया। दो बार वो खुद भी कोविड पॉजीटिव हुए। पहले स्वयं का उपचार कर संक्रमण से दूर हुए और फिर अस्पताल में कम संसाधनों के बीच, सबसे बेहतर काम के लिए सम्मानित भी हुए।खबर का जोड: ऐसे भी डॉक्टर्स जिनको काम का जुनून
किसी को काम का जुनून होता है ऐसे ही रतलाम के आर्थोंपेडिक सर्जन डॉ.लेखराज पाटीदार। अभी तक के केरियर में डॉ.पाटीदार ने करीब 3 हजार से अधिक हड्डी के ऑपरेशन किए हैं। जिसमें सिर की चोट और स्पाइन के ऑपरेशन भी शामिल हैं। बकौल पाटीदार अस्पताल में मरीज के आने पर सबसे पहले एक ही विचार आता है कि अब इलाज में पूरी जी जान लगानी है। ऐसे में बिना किसी देर के मरीजों का उपचार शुरू कर देते हैं। डॉ.पाटीदार ने बताया कि इन 5 हजार ऑपरेशन के लिए उनको करीब दस साल का समय लगा।
जाने-माने चिकित्सक समाज सेवा में भी उतर आए क्षेत्र में डॉ.अभय ओहरी का बड़ा नाम है, डॉ.ओहरी आदिवासी समाज के लिए काम में भी जुटे हुए हैं। डॉ.ओहरी जयस के संस्थापक सदस्य भी हैं। ओहरी समाज के लोगों के लिए काम के साथ चिकित्सा सुविधा भी मुहैया कराते हैं। वो नर्सिंग कॉलेज और एक निजी अस्पताल के संचालक भी हैं। टीबी से लड़ाई के लिए भी डॉ.ओहरी का योगदान काफी सराहनीय रहा है।
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