असल मंे रेलवे में मान्यता के चुनाव मार्च माह में होना है। इसको लेकर रेलवे का मानना था कि चुनाव इवीएम से कराने से ये निस्पक्ष होंगे। इसमे रेल संगठनों का कहना था कि इसके लिए बड़ी संख्या में इवीएम की जरुरत पडेग़ी व रेलवे को निजी संगठन का मोहताज होना पडेग़ा। इसके बाद इवीएम का विरोध तेज हो गया।
६ वर्ष बाद हो रहे चुनाव
बता दे कि मान्यता को लेकर पिछला चुनाव २०१३ में हुआ था। इसके बाद अब २०१९ में ये चुनाव हो रहे है। रेलवे बोर्ड के कार्मिक सदस्य ने चुनाव के लिए पहले २०, २१ व २२ फरवरी तय की थी, अब इसको आगे बढ़ाकर मार्च माह किया जा रहा है। हालाकि बैलेट पेपर से चुनाव कराने के पक्ष में अब भी रेल मंत्रालय तैयार नहीं है। रेलवे में होने वाने विभिन्न स्तर के चुनाव बैलेट पेपर से ही होते है।
अब ३३ नहीं १० प्रतिशत पर मान्यता
अब तक रेलवे के नियम अनुसार ३३ प्रतिशत मत लाने वाले संगठन को मान्यता मिलती रही है, अब नियम में चुनाव पूर्व बदलाव किया जा रहा है। इसके लिए वोट प्रतिशत को ३३ प्रतिशत से कम करके १० प्रतिशत किया जा रहा है। असल में ३३ प्रतिशत करने पर एनएफआईआर व एआईआरएफ को तो मान्यता मिल जाती है, लेकिन भारतीय रेल मजदूर संघ इसमे काफी पिछे रह जाता है। अब सारी कयावद भारतीय रेल मजदूर संघ को मान्यता मिल सके, इसके लिए ही की जा रही है। बता दे कि पश्चिम रेलवे में वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ व वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाईज यूनियन को माप्यता है, जबकि सरकार समर्थित पश्चिम रेलवे कर्मचारी परिषद को ये सुविधा नहीं है।
किसी भी तरह से हो हम जीतेंगे
चुनाव किसी भी तरह से हो, हमारा संगठन जीतेगा। क्योकि सबसे अधिक कार्यकर्ता हमारे साथ है।
– बीके गर्ग, मंडल मंत्री वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ
हम पूर्व परंपरा के पक्षघर
अब तक जिस तरह से चुनाव होते रहे है, उसी तरह से होना चाहिए। इवीएम में तो धांधली की काफी बात होती रही है। संगठन के चुनाव में बैलेट पेपर में निष्पक्षता रहेगी।
– एसबी श्रीवास्तव, मंडल मंत्री, वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाईज यूनियन