मंदिर बनने से पूर्व यहां के एक कृषक परिवार के सदस्य को स्वप्न में दर्शन हुए थे कि माता की प्रतिमाएं भूमि में है व इनको बाहर निकालना जरूरी है। शुरू में किसान ने जब सपने को गंभीरता से नहीं लिया तो प्रतिदिन यह सपना आने लगा। इसके बाद रामलाल नाम के कृषक ने अपने परिवार को इसके बारे में बताया व खुदाई शुरू की गई तो करीब 50 फीट नीचे खुदाई के बाद प्रतिमाएं बाहर आई।
इस मंदिर में नियमित दर्शन करने आने वाले भक्त बताते है कि उनकी आस्था का प्रमुख कारण यह है कि यहां जो भी मांगो, सकारात्मक हो तो मनोकामना जरूर पूरी होती है। इतना ही नहीं, अगर किसी के प्रति खराब विचार रखकर मंदिर में कुछ मांगते है तो दर्शन में ही संकेत आ जाता है कि पाप के मार्ग पर मत चलो। यहां पर सुबह व शाम को आरती व रात में भजन का आयोजन होता है।