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रतलाम

इन फूलों से प्रदेश को महका रहे किसान

– फूल उत्पादन में बढ़ोतरी, प्रोत्साहन से सरकार की दूरी

रतलामMay 27, 2022 / 07:36 pm

sachin trivedi

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सचिन त्रिवेदी, रतलाम.
मुख्य उपज सहित कई फसलों की वाजिब कीमतों के फेर से परेशान किसान बागवानी फसलों की ओर बढ़ रहा है। इसमें मुख्यत: फूलों की खेती का ना सिर्फ रकबा बढ़ रहा है, बल्कि उत्पादन में भी अच्छी बढ़ोतरी हो रही है। कोरोनाकाल के संक्रमण दौर के बावजूद फूलों की खेती की ओर किसानों का रूझान बरकरार है, लेकिन सरकार ने महक की इस टोकरी को पैरों तले पटक दिया है। दरअसल, प्रदेश के जिलों में बीते 3 सालों से फूलों की खेती का कोई लक्ष्य ही निर्धारित नहीं है तो फूल उत्पादकों को प्रोत्साहन देने वाली कई योजनाएं कागजों में बंद है। फिर भी किसान बाजार की मांग अनुसार, देशी फूल के साथ ही विदेशी किस्मों का उत्पादन लेने के लिए कदम बढ़ा रहा है, सरकार साथ दे तो महक से महल बन सकते हैं।

फूलों की डगर पर जगह जगह कांटे
मालवांचल के कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले तीन जिलों रतलाम, मंदसौर और नीमच में साल-दर-साल फूलों की खेती किसानों को आकर्षित कर रही है। प्रदेश के कुल फूल उत्पादन में भी मालवांचल की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हुई है, बावजूद इसके बीते कुछ सालों से सरकार और उद्यानिकी विभाग फूल उत्पादकों की राह के कांटे नहीं हटा पा रहा है। कोरोनाकाल से पूर्व तक सरकार की ओर से हर जिले को उद्यानिकी के तहत फूलों की खेती का लक्ष्य दिया जाता था, इसी अनुसार विभाग जिलों में कवायद कर फूल उत्पादन को प्रोत्साहित करता था, लेकिन वर्ष 2020 से ही जिलों को नया लक्ष्य नहीं मिला है, इससे समूचा तंत्र निष्क्रिय सा हो गया है। गिरदावरी अनुसार विभाग कागजों पर आंकड़ों की पूर्ति कर जिम्मेदारी निभा रहा है।

देश में प्रदेश का नाम, लेकिन जिलों में नहीं काम
उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी बताती है कि देश के प्रमुख फूल उत्पादक राज्यों आंधप्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडू के बाद मध्यप्रदेश का स्थान है, लेकिन बीते सालों में प्रदेश के जिलों की स्थिति ठीक नहीं रही है, फिर भी किसान अपने स्तर पर बाजार की मांग को देखते हुए फूलों की खेती कर रहे हैं। मालवा के कृषि वाले जिलों रतलाम, मंदसौर और नीमच में करीब 6 हजार हेक्टेयर में फूल खिलाए जा रहे हैं, इनमें महकादार फूलों के साथ ही सजावटी और विदेशी किस्म के फूल भी शामिल है, इनकी मांग प्रदेशभर के जिलों से आ रही है।

मालवा के फूलों की दिल्ली-राजस्थान-गुजरात तक मांग
उद्यानिकी विभाग के संभागीय कार्यालय से मिली जानकारी बताती है कि बीते वर्षो में मालवा के जिलों रतलाम, मंदसौर, नीमच, शाजापुर और आगर से फूल उत्पादक किसानों को बाहरी राज्यों से भी ऑर्डर मिले हैं, हालांकि कोरोनाकाल के दौरान इसमें कमी आई, लेकिन उत्पादन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। रतलाम, मंदसौर और नीमच से ही करीब 11 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा फूल उत्पादित हो रहे हैं। वहीं, आगर और शाजापुर जैसे जिलों में औसत 3 हजार मीट्रिक टन फूल की पैदावार हो रही है, ये फूल दिल्ली, राजस्थान और गुजरात तक जा रहे हैं।

चुनाव आए, फूलों की मांग बढ़ेगी
नीमच जिले के केलूखेड़ा के किसान अर्जुन धाकड़ ने बताया कि कोरोनाकाल में फूलों का उत्पादन हुआ, लेकिन बिक्री कम रही थी। इससे किसानों को नुकसान हुआ, इसकी भरपाई के लिए सरकार की ओर से भी कोई सहयोग नहीं मिला। पहले दिल्ली तक फूल जाता था, अब राजस्थान के शहरों से भी मांग आ रही है, चुनाव भी आ रहे हैं तो उम्मीद है दाम अच्छे मिलेंगे। किसान गेंदा के साथ ही गुलाब, चेमली, मोगरा, पाइरस, सूर्यमुखी, सजावटी गेंदा, केला, अपराजिता, सदाबहार, गुल मेहंदी, लता फूल आदि लगा रहे हैं।

तीन साल से लक्ष्य नहीं मिला
बीते 3 वर्षो से जिलों को फूल की खेती को लेकर मिलने वाले लक्ष्य बंद हो गए हैं, पूर्व निर्धारित रकबा अनुसार डाटा एकत्रित किया जाता है। किसानों का फूलों की खेती के प्रति रूझान अच्छा है और उत्पादन भी बढ़ा है। बाजार की मांग अनुसार किसानों को दाम मिल रहे हैं। – केसी धारीवाल, उप संचालक उद्यानिकी

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