ganesh chatirthi date puja vidhi muhurat time in hindi
रतलाम। हिंदी माह ज्येष्ठ के कृष्णपक्ष की चतुर्थी 23 अप्रैल को है। चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की पूजन, व्रत आदि किए जाते है। गणपति को सभी देव में सबसे पहले याद किए जाने का प्रावधान है। भगवान गणपति की पूजन का भी नियम है। अगर सही नियम से पूजन की जाए तो बप्पा खुश होते है व सभी इच्छा को पूरा करते है। ये बात रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कही। वे भक्तों को इंद्रा नगर में ज्येष्ठ माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी के बारे में बता रहे थे।
ज्योतिषी रावल ने कहा कि भारतीय ज्योतिष में चतुर्थी पर भगवान गणेश की उपासना का विधान है। घर में सुख, समृद्धि और शांति के इस हर माह कृष्ण व शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणपति की पूजा की जाती है। इस माह गणेश चतुर्थी 23 अप्रैल ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी को पड़ रही है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेशजी की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में धन प्राप्ति के लिए भगवान गणेश की विशेष प्रकार की पूजा का विधान बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि इस प्रकार से विघ्नहर्ता गणेश जी की पूजा करने से व्यक्ति मालामाल होने के साथ-साथ समस्त संकटों से मुक्ति पा लेता है।
इस तरह करें भगवान गणपति की पूजन भारतीय वैदिक शास्त्रों में भगवान गणेश जी की पूजन के बारे में विस्तार से बताया गया है। भगवान गणेश की पूजा सर्वप्रथम गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा ले आएं। भगवान गणेश की पूजा के समय उन्हें लाल सिंदूर का तिलक लगाएं। इसके बाद भगवान विनायक को पाले वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद स्थापित करें। लाल सिंदूर से भगवान गणेश के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं। दो-दो खड़ी रेखाओं से दोनों तरफ से घेर दें। फिर दोनों तरफ रिद्धि-सिद्धि लिख दें। उनके दोनों पुत्रों, शुभ और लाभ लिख दें।
पूजन को इस तरह लगातार करें शुभ व लाभ लिखने के बाद लाल फूल चढ़ाएं, पीले फूल की माला अर्पित करें। 21 लड्डू का भोग लगाएं। पान-सुपारी, लौंग चढाएं। घी का दीपकजलाएं व इसके बाद ऊं गणेशाय नम: का कम से कम 108 बार जाप करें। गणेश जी के साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा करें। गणेश जी और लक्ष्मी जी को गुलाब का फूल चढ़ाएं। पान सुपारी, पीली मिटटी, हल्दी की गांठ भगवान विनायक को अर्पित करें। घी के दीपक और गूगल, धुप से आरती कर ज्योत पूरे घर में घुमाएं। इससे बड़ा लाभ होता है व मन की सोची सभी इच्छा पूरी होती है।