सामान्य विकासखंडों की तुलना में आदिवासी विकासखंडों में ऐसे स्कूलों की संख्या बेहद कम है यानि कहा जा सकता है कि इन विकासखंडों में सरकारी स्कूलों में बच्चे अच्छी संख्या में आ रहे हैं। इन विकासखंडों में सैलाना और बाजना है जहां ऐसे स्कूलों की संख्या मात्र १५ है जबकि जिले के दो सामान्य विकासखंडों जावरा और रतलाम में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे स्कूलों की है जहां जिनमें बच्चों की संख्या बेहद कम रहने से संकट खड़ा हो गया है।
ऐसे भी हैं स्कूल
जिले में कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जिनमें पांच से भी कम विद्यार्थियों की संख्या इस समय दर्ज है। इन स्कूलों में से जावरा विकासखंड के गांव राजाखोरा के ईजीएस में मात्र एक बच्चा भर्ती बताया गया है। पिपलौदा में आश्रम शाला चिकलाना में पांच, जावरा के गुजरबर्डिया और नाउखेड़ी में महज आठ-आठ बच्चे ही दर्ज बताए गए हैं। इन स्कूलों में कम से कम दो शिक्षक तो पदस्थ हैं। ऐसे में इन सरकारी स्कूलों में पांच और आठ बच्चों को दो-दो शिक्षक पढ़ा रहे हैं।
सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने और पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए सरकार ने मध्याह्न भोजन, गणवेश, साइकिल, पुस्तकें देने की बड़ी योजनाएं चला रखी है। सरकारी स्कूल में आने वाले हर बच्चे को यह सुविधा मिलती है। पांचवीं में पढने वाले बच्चों के साथ छात्रा को अलग से छात्रवृत्ति देने की भी योजना सरकार ने लागू कर रखी है।
विकासखंड ————- स्कूलों की संख्या
आलोट ———————- 23
बाजना ———————- 07
जावरा ———————- 31
पिपलौदा ——————– 26
रतलाम ——————— 32
सैलाना ——————— 08
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एनरोलमेंट बढ़ाने के लिए शिक्षकों को कहा
कई प्राथमिक व ईजीएस शालाओं में एनरोलमेंट बहुत कम है यह सही है। हमने शिक्षकों को अपने स्तर पर प्रयास करके इनकी संख्या बढ़ाने के सख्त निर्देश दिए हैं। हम भी बीआरसीसी और बीएसी के माध्यम से इस पर फोकस कर रहे हैं।
अमर कुमार वरधानी, डीपीसी, रतलाम