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खसखस मंडी में आती है 500 बोरी लेकिन रिकॉर्ड में 30 फीसदी दर्शाई जाती है

खसखस मंडी में आती है 500 बोरी लेकिन रिकॉर्ड में 30 फीसदी दर्शाई जाती है

रतलामMay 22, 2019 / 05:33 pm

Akram Khan

patrika

खसखस मंडी में आती है 500 बोरी लेकिन रिकॉर्ड में 30 फीसदी दर्शाई जाती है

रतलाम। प्रदेश की आदर्श मंडियों में शामिल नगर की अरनीयापीथा स्थित कृषि उपज मंडी में पोस्ता और खसखस का बड़ा व्यापार होता है, बैस्ट क्वालिटी की खसखस के लिए प्रसिद्ध जावरा की मंडी में खसखस में मंडी के ही अधिकारियों की मिली भगत से बडै पैमाने पर युआरडी (दो नम्बर) होती है, प्रतिदिन मंडी खसखस की आवक करीब 500 बोरी होती है, लेकिन मंडी के रिकार्ड में महज 30 प्रतिशत ही आवक ही दर्ज होती है।
पिछले करीब एक सप्ताह से मंडी में चल रहे तुलावटियों के विवाद के चलते मंगलवार को मंडी सचिव ने खसखस में लगे नाकेदारों से कहा कि आज से खसखस की शत प्रतिशत पर्चिंया काटी जावेगी, किसी प्रकार का युआरडी नहीं होगा। शत प्रतिशत पर्ची कटने की निर्देश के बाद खसखस के व्यापारियों ने खसखस का निलाम कार्य रोक दिया। करीब आधे घंटे निलाम बंद होने के बाद पुन: पुराने ढर्रे पर निलाम शुरु हुआ।
करोड़ों की राजस्व हानि होती है
अरनीयापीथा स्थित कृषि उपज मंडी में केवल खसखस ही अन्य सभी जिन्सों में भी युआरडी (बीना मंडी टेक्स का माल) मंडी अधिकारियों से लेकर जमीनी अधिकारियों की मिली भगत से ही फल फुल रही है। युआरडी से जहां व्यापारियों को मुनाफा होता है, वहीं मंडी के अधिकारियो व कर्मचारियों की भी चांदी होती है। निजी स्वार्थ और लाभ के चलते मंडी के अधिकारी युआरडी संज्ञान होने के बाद भी कार्रवाई नहीं करते है। युआरडी के चलते प्रदेश सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि होती है। लेकिन निजी लाभ के चलते मंडी में युआरडी को रोकने तथा बंद करने की कोशिश नहीं की जाती है।
नहीं माने तो होगी कार्रवाई
मंडी में पुराने समय से युआरडी चली आ रही है, जिसे बंद करने की पहल की जा रही है, समझाइश दी जावेगी, नहीं माने तो कार्रवाई की जावेगी।
एमएस मुनिया, मंडी सचिव, जावरा
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सचिव ने की द्वेषपूर्ण कार्रवाई, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
अरनीयापीथा स्थित कृषि उपज मंडी में कार्यरत तुलावाटियों को मंडी सचिव द्वारा बगैर भारसाधक अधिकारी की स्वीकृति के निलंबित करने का मामला तुल पकड़ता जा रहा है। पिछले गुरुवार को मंडी में कार्यरत तीन तुलवाटियों को निलंबीत करने के बाद मंगलवार को मंडी के दोनों व्यापारी संगठनों के पदाधिकारियों तथा तुलावटी संघ ने सचिव द्वारा द्वेषतापूर्वक कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए तीनों तुलावटियों को पुन: बहाल करने की मांग को लेकर मंडी भारसाधक अधिकारी को ज्ञापन सौंपे।
तुलावटी संघ ने मंडी भारसाधक अधिकारी व एसडीएम एमएल आर्य को दिए आवेदन में बताया कि तीन तुलावटियों के लाईसेंस लाल पर्ची व्यापारी को नही देने के कारण निरस्त किए गए है जो द्वेवेषापूर्ण कार्रवाई की श्रेणी में आते है। विगत कई वर्षो से मंडी में उपज तुलाई के दौरान तुलावटी तौल बुक की प्रथम कॉपी (सफेद) कृषि उपज मंडी को उपलब्ध कराता है तथा तौल कार्य कर द्वितीय पर्ची (हरी) किसान को देता है जिससे व्यापारी द्वारा किसान को भूगतान कर दिया जाता है। इस प्रकार तृतीय पर्ची (लाल) तौल बुक के साथ ही कृषि उपज मंडी में तुलावटी बुक के साथ जमा हो जाती है। क्योकि लाल पर्ची व्यापारी वर्ग नही लेता है, जिससे उसकी उपयोगिता शुन्य के बराबर होने से उसमें कार्बन नही लगाया जाता है।
इधर मंडी व्यापारी संगठन तथा काटजू व्यापारी संघ ने भी मामले में भारसाधक अधिकारी आर्य को आवेदन दिया। पदाधिकारियों ने बताया कि द्वितीय पर्ची कृषक की (हरी) पर्ची से ही व्यापारी वर्ग कृषकों को उपज का भुगतान 82/2 बिल बनाया जाता है तथा तृतीय (लाल पर्ची) की आवश्यकता हम व्यापारी को नही रहती है। इसलिए हम लाल पर्ची तुलावटी से नही लेते हुए हरी पर्ची द्वितीय से ही किसान से लेकर बिल बनाते है ओर भुगतान किया जाता है। लाल पर्ची के कारण तीन तुलावटियों के लाईसेंस निरस्त किए गए है, उन्हे बहाल करने की मांग की गई।

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