थाना दीन नगर की हाट की चौकी पुलिस के अनुसार घटना शाम करीब 4.15 बजे बाद की है। फांसी यहीं अस्पताल में काम करने वाली नर्स माया पिता पीरूलाल परमार 25 ने लगाई थी। युवती को जब सहेलिया अस्पताल लेकर पहुंची तो पूरा स्टाफ व डॉक्टर उसके उपचार में लग गए। इस बीच सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन घर पर ताला लगा मिला, जिसके बाद वह जिला अस्पताल आई लेकिन यहां युवती की हालत गंभीर होने से उसके बयान नहीं हो सके। पुलिस ने युवती को अस्पताल लाने वाली उसकी सहेलिया से प्रारंभिक जानकारी जुटाई है। जिसके चलते घटना का कारण प्रेम-प्रसंग से जुड़ा होना माना जा रहा है।
दो दिन से थी परेशान
माया मूल रूप से उज्जैन जिले के उन्हेल की निवासी है। यहां पर वह जिला अस्पताल में मनोचिक्त्सिक डॉ. निर्मल जैन के साथ सहायक के रूप में काम करती थी। घटना से करीब दो घंटे पहले माया की सहेली मयूरी उसके लिए टिफिन में खाना लेकर उसके रूम पर पहुंची थी। उस समय भी वह रो रही थी, जिस पर मयूरी ने उसे चुप कराया था और फिर उसके फोन से किसी धर्मेंद्र नाम के उसके दोस्त को फोन लगाकर माया की बात भी कराई थी। इस दौरान भी दोनों के बीच फोन पर विवाद हो रहा था। खाना खिलाने के बाद मयूरी अपने रूम पर चली गई थी।
माया मूल रूप से उज्जैन जिले के उन्हेल की निवासी है। यहां पर वह जिला अस्पताल में मनोचिक्त्सिक डॉ. निर्मल जैन के साथ सहायक के रूप में काम करती थी। घटना से करीब दो घंटे पहले माया की सहेली मयूरी उसके लिए टिफिन में खाना लेकर उसके रूम पर पहुंची थी। उस समय भी वह रो रही थी, जिस पर मयूरी ने उसे चुप कराया था और फिर उसके फोन से किसी धर्मेंद्र नाम के उसके दोस्त को फोन लगाकर माया की बात भी कराई थी। इस दौरान भी दोनों के बीच फोन पर विवाद हो रहा था। खाना खिलाने के बाद मयूरी अपने रूम पर चली गई थी।
सहेलियां बनी रक्षक
खाना खिलाने के बाद मयूरी व उसके साथ काम करने वाली दूसरी सहेलियों ने माया को शाम करीब ४ बजे बाद फोन लगाया तो उसने नहीं उठाया। इस बात पर शंका होने पर मयूरी अपने साथ संगीता व रीता को साथ लेकर माया के घर पहुंची। यहां नीचे गेट पर ताला दिखा तो तीनों ने मिलकर जैसे-तैसे उसे तोड़ा और ऊपर उसके कमरे पर पहुंची। दरवाजा बजाने पर जब माया ने दरवाजा नहीं खोला तो एक ने खिड़की से झांका तो माया फंदे पर नजर आई। ये देख तीनों सहेलियों ने दरवाजा तोड़ा और उसे फंदे से उतार ऑटो में डालकर जिला अस्पताल लाई।
खाना खिलाने के बाद मयूरी व उसके साथ काम करने वाली दूसरी सहेलियों ने माया को शाम करीब ४ बजे बाद फोन लगाया तो उसने नहीं उठाया। इस बात पर शंका होने पर मयूरी अपने साथ संगीता व रीता को साथ लेकर माया के घर पहुंची। यहां नीचे गेट पर ताला दिखा तो तीनों ने मिलकर जैसे-तैसे उसे तोड़ा और ऊपर उसके कमरे पर पहुंची। दरवाजा बजाने पर जब माया ने दरवाजा नहीं खोला तो एक ने खिड़की से झांका तो माया फंदे पर नजर आई। ये देख तीनों सहेलियों ने दरवाजा तोड़ा और उसे फंदे से उतार ऑटो में डालकर जिला अस्पताल लाई।
डॉक्टर व स्टाफ जुटा बचाने में
माया को जब अस्पताल लाया गया था उस समय उसकी सांसे लगभग रूक सी गई थी। ड्यूटी डॉक्टर ने उसे बचाने का प्रयास कर रहे थे। इस बीच सूचना पर डॉ. निर्मल जैन भी यहां पहुंचे। बाद में एमडी डॉ. जीवन चौहान को फोन कर बुलाया गया। इस बीच माया का सीसीयू में भर्ती कर उपचार शुरू किया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद युवती की सांस फिर से लौट आई तो अन्य डॉक्टर के साथ स्टाफ में खुशी छा गई। शाम करीब 6.30 बजे बाद युवती को पास के निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया।
माया को जब अस्पताल लाया गया था उस समय उसकी सांसे लगभग रूक सी गई थी। ड्यूटी डॉक्टर ने उसे बचाने का प्रयास कर रहे थे। इस बीच सूचना पर डॉ. निर्मल जैन भी यहां पहुंचे। बाद में एमडी डॉ. जीवन चौहान को फोन कर बुलाया गया। इस बीच माया का सीसीयू में भर्ती कर उपचार शुरू किया। करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद युवती की सांस फिर से लौट आई तो अन्य डॉक्टर के साथ स्टाफ में खुशी छा गई। शाम करीब 6.30 बजे बाद युवती को पास के निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया।