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रतलाम

सीएम हेल्पलाइन में अधिकारी बांध रहे झूठ के पुलिंदे

– पीडि़त की शिकायत पढे़ बगैर जवाब तैयार कर मन से बंद कर रहे शिकायत

रतलामJan 05, 2018 / 12:24 pm

harinath dwivedi

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सीएम हेल्पलाइन में अधिकारी बांध रहे झूठ के पुलिंदे

रतलाम। सीएम हेल्पलाइन में शिकायतों के गलत ढंग से निराकरण कर बंद करने का मामला सिर्फ जिला पंचायत तक ही सीमित नहीं है, यह सिलसिला अन्य विभागों में भी जारी है जिसके चलते शिकायतकर्ता परेशान हो रहे हैं और अधिकारी हैं कि उनकी शिकायतों का समाधान किए बगैर झूठ के पुलिंदे बांधकर फ ोर्स फुल तरीके से शिकायते निराकृत कर बंद कराने के प्रयास में लगे है।
सीएम हेल्पलाइन में शिकायत को पढ़े बगैर जवाब तैयार करने का मामला निर्वाचन कार्यालय और नगर परिषद आलोट में भी उजागर हुआ है। जहां बीते कुछ माह से शिकायतकर्ताओं की शिकायत का समाधान नहीं किया जाने से शिकायतकर्ता परेशान हो रहे हैं। वहीं संबंधित विभागों के अधिकारी उन्हें देखे बगैर ही मन से जवाब लिखकर बंद कराने का प्रयास करने में लगे हुए हैं।
केस – एक
विभाग – निर्वाचन कार्यालय
शिकायतकर्ता – शाकिर मंसूरी निवासी वेद व्यास कॉलोनी ने पुत्र सलमान का मतदाता परिचय पत्र बनवाने के लिए ३ मार्च 2016 को आवेदन किया था, जो अब तक नहीं बन सका है। उसके बाद भी एक ही विभाग के अधिकारी तीन बार तीन अलग-अलग जवाब मन से दे रहे है।
1. सीएम हेल्पलाइन में शिकायत पर पहली बार जांच अधिकारी ने २७ अक्टूबर २०१७ को जवाब में लिखा कि आवेदक का मतदान केंद्र स्थानांतरण होने से अन्य स्थान पर निवासरत है, उसके बाद भी उसे ढूंढकर परिचय पत्र दे दिया है, जबकि न तो शिकायतकर्ता का स्थान बदला है और न उसका कार्ड अब तक बना है।
2. दूसरी बार विभाग के जांच अधिकारी ने शिकायत का कुछ और देते हुए लिखा कि आवेदन में संशोधन की कार्रवाई पूरी हो गई है, वर्तमान में सॉफ्टवेयर में समस्या होने से कार्ड जारी नहीं हो पा रहे है, सॉफ्टवेयर अपडेट होते ही कार्ड सौप दिया जाएगा।
3. शिकायत के एल-३ में पहुंचने पर जवाब आया कि आवेदक रूखसाना मंसूरी का वोटर आईडी २५ अक्टूबर को प्रदाय कर दिया गया है, जबकि शिकायतकर्ता ने सलमान का कार्ड अब तक नहीं बनने की शिकायत दर्ज कराई थी।
केस – दो
शिकायत – नगर परिषद आलोट
शिकायतकर्ता – बलवंतराय जैन निवासी आलोट ने शिकायत में बताया कि नगर परिषद आलोट के अमले ने हरे वृक्षों को काटा था। उसमें से एक पेड़ उनकी दुकान पर गिरा था, जिसका नुकसानी पंचनामा तो बना था, लेकिन आज तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। इस संबंध में पुत्र प्रितेश ने जब शिकायतें की, तो उसे गलत तरीके से बंद कर दिया गया था, इस कारण से फिर से शिकायत करना पड़ी।
1. नगर परिषद ने जवाब दिया कि सुरक्षा की दृष्टि से पेड़ गिराया गया था, उसके जर्जर होने से गिरने पर जनहानि की संभावना थी। वृक्ष काटने के संबंध में उन्हें स्वयं को अधिकार है। शिकायतकर्ता की दुकान के आगे लोहे के शेड का कब्जा था, जिसे हटाने का मौखिक आदेश एसडीएम द्वारा दिया जाना बताकर उसे बंद करने की बात कही गई थी।
2. शिकायतकर्ता के संतुष्ट नहीं होने पर दूसरी बार जांच अधिकारी ने लिखा की मौके पर जाकर शिकायतकर्ता से चर्चा की गई, जबकि पीडि़त का कहना है कि उससे बात करने कोई नहीं आया। वहीं निराकरण में पहले का जवाब फिर दोहरा दिया गया।
3. तीसरी बार फिर से अधिकारियों ने पूर्व के जवाब को दोहरा दिया और स्वयं की और से यह भी उल्लेख कर दिया कि शिकायत के निराकरण किए जाने से शिकायतकर्ता संतुष्ट है। यह दर्ज करने के बाद उसकी शिकायत बंद कर दी गई।
केस – तीन
विभाग – नगर निगम/ यातायात पुलिस
शिकायतकर्ता – एक महिला ने शिकायत दर्ज कराकर बताया कि स्टेशन रोड पर आवासीय परिसर को व्यवसायिक कर दिया गया है। इसमें तीन बैंक संचालित हो रहे है, पार्र्किंग नहीं होने से आमजन को काफी परेशानी होती है। कुछ कहने पर कर्मचारी विवाद करते है। नगर निगम व यातायात पुलिस कुछ नहीं करती है।
1. पहली बार में जवाब आया कि पार्र्किंग बेहतर करने के लिए नगर निगम ने पार्र्किंग लाइन डलवायी है। वाहन इसके अंदर पार्क कराने के लिए बैंक कर्मचारियों को कहा है। यातायात विभाग द्वारा प्रतिदिन मुहिम चलाकर यातायात को सुव्यवस्थित किया जाएगा।
2. दूसरी बार में जवाब आया कि शिकायत यातायात पुलिस से संबंधित है। वहीं एक अन्य लाइन में लिखा कि शिकायत चयनित अधिकारी के कार्य क्षेत्र से संबंधित नहीं है, एेसे में उचित अधिकारी को प्रेषित की जाएगी।

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