मैं सुजाता बंैगलरू में रहती हूं, हमने रतलाम की महालक्ष्मी का अद्भूत श्रृंगार यूटूब पर देखकर आए है। बरसों से हम सोंच रहे थे यहां आना चाहिए, मैं मुंबई आई मेरी मां-बहन से मिलने आई थी, वहीं से लगा की मुझे यहां भी आना चाहिए। कल हम वहां से निकलकर आज सुबह यहां आ गए। सुबह आकर माता के दर्शन के लिए सभी मंदिरों में ऐसे दर्शन नहीं होते है, बहुत अच्छा लगा यहां आकर, सभी लोग सहयोगात्मक रवैया रखते हैं। आज हमें सेवा का मौका भी माता के शृंगार में हाथ बंटाकर मिला, अपने आप को बहुत खुशनसीब समझते हैं। महालक्ष्मी के हर मंदिर यह शृंगार होना चाहिए।
मैं वर्षा नंदकिशोर मुंबई से आई हूं, यू टुब पर रतलाम की महालक्ष्मी के शृंगार को देखा और सुना था, बस इसीलिए दर्शन करने चले आए। मातारानी के खास भक्त है। मैं और मेरी फ्रेंड साथ आई है। आज सुबह से हम यहां माता के शृंगार के लिए नोटो के हार बना रहे हैं बहुत अच्छा लग रहा है। मंदिर आते हैं तो मन को बहुत शांति लगती है, ऐसा अद्भूत शृंगार हर मंदिर पर होना चाहिए, और उनकी सेवा करने को मिलती यह बड़े सौभाग्य की बात है। हर किसी को ऐसा सौभाग्य नहीं मिलता है। हमें मिला है यह हमारे लिए बहुत अच्छी बात है।