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रतलाम

महालक्ष्मी मंदिर यहां प्रसाद में बंटते हैं सोने चांदी के आभूषण, देखें यहां पहली बार

रतलाम जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां लोगों को प्रसाद में आभूषण बांटे जाते है।

रतलामNov 25, 2017 / 04:15 pm

Ashtha Awasthi

mahalaxmi temple

mahalaxmi temple

रतलाम। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां लोगों को प्रसाद में आभूषण बांटे जाते है। जी हां ये आपको मजाक लग सकता है लेकिन ये सच है। मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी भेंट के रुप में चढ़ाया जाता है वो उसी साल के अंत में दोगुनी हो जाती है। खासतौर पर दीवाली के समय इस मंदिर में खूब भीड़ होती है। दीवाली से पहले लोग यहां पर पूरी श्रद्धा के साथ नोटों की गड्डियां और आभूषण लेकर आते हैं। उस दौरान इन नोटों की गड्डियां और आभूषण को मंदिर में ही रख लिया जाता है। साथ ही इसकी बकायदा एंट्री भी की जाती है और टोकन भी दे दिया जाता है। भाई दूज के बाद टोकन वापस देने पर इसे वापस भी लिया जा सकता है।

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दीवाली में सजाया जाता है मंदिर

विशाल महालक्ष्मी के इस मंदिर को दीवाली के समय खूब सजाया जाता है। बताया जाता है कि इस मंदिर में लगे आभूषणों की कीमत 100 करोड़ रुपए है। यहां कि सजावट को देखकर लगता है कि इतना सारा धन मंदिर को दान में मिलता है लेकिन आपको विश्वास नहीं होगा कि धन मंदिर को दान में नहीं बल्कि सजावट के लिए श्रद्धालु देते हैं, जो उन्हें बाद में वापस कर दिया जाता है।

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प्रसाद में मिलते हैं आभूषण

दीवाली में बाद जो भी भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए जाता है उसे प्रसाद के रुप में आभूषण दिए जाते हैं। साथ ही नकदी भी दी जाती है। इस प्रसाद को लेने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां पर आते हैं। भक्तों का कहना हा कि वे इस प्रसाद को शगुन मानकर कभी भी खर्च नहीं करते हैं बल्कि संभालकर रखते हैं।

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धनतेरस के दिन खुलते हैं कपाट

महालक्ष्मी के इस मंदिर के कपाट साल में केवल एक ही बार खुलते हैं और ये शुभ दिन होता है धनतेरस का। धनतेरस के दिन ब्रह्म मुहूर्त में इस मंदिर के कपाटों को खोल दिया जाता है। इस दिन कपाट खुलने के बाद दिवाली के बाद तक ये तकपाट खुले रहते हैं। पांच दिन तक इस, मंदिर में दीवाली के पर्व का धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी अपने आभूषणों को महालक्ष्मी के श्रंगार के लिए लाता है उसके घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। मंदिर में महिलाओं के प्रसाद के रुप में श्रीयंत्र, सिक्का, कौड़ियां, अक्षत, कंकूयुक्त कुबेर पोटली दी जाती है, जिन्हें घर में रखना शुभ माना जाता है।

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कहीं नहीं है ऐसा मंदिर

कहा जाता है कि पूरे भारत देश में ऐसा कोई भी मंदिर नहीं है जहां पर सोने-चांदी के आभूषणों, हीरों-जवाहरातों व नकद राशि से महालक्ष्मीजी का श्रृंगार किया जाता है। इस मंदिर की खासियत ये है कि आज तक भक्तों के द्वारा लाए गए लाखों के आभूषण इधर से उधर नहीं हुए हैं। एक समय के बाद भक्तों को ये वापस कर दिए जाते हैं।
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