इस्तीफा अब तक मंजूर नहीं होने के बाद डिंडोर वर्तमान में फिर से कार्यालय में आकर बैठने लगे है। हालाकि पूर्व में उन्हे दिए गए चुनावी कार्य से सीईओ ने उन्हे पूरी तरह से मुक्त कर दिया है। कलेक्टर के निर्देश पर उन्हे फिलहाल कार्यालय का काम ही करने के लिए सौपा गया है, चुनाव से जुड़ा कोई सा भी कार्य उनसे नहीं कराने के निर्देश भी दिए गए है। डिंडोर के इस्तीफे के साथ ही आगे उनसे कहां पर क्या काम लेना है यह भी अब शासन तय करेगा।
डॉक्टर की नौकरी छोड़कर रतलाम ग्रामीण विधानसभा से दावेदारी कर रहे डॉ. अभय ओहरी का चुनाव लडऩे का सपना भी अब फिलहाल टूट चुका है। डॉ. ओहरी ने भी इस्तीफा देकर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अपना नामांकन दाखिल किया था, लेकिन जांच के दौरान उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था। इसके पीछे कारण विभाग से एनओसी नहीं मिलना रही थी। इस पर उनके द्वारा न्यायालय की शरण ली गई थी। उनके द्वारा न्यायायल में रिट लगाई गई थी, उस पर सुनवाई नहीं होने पर दूसरी बार फिर से रिट लगाई थी। एेसे में सुनवाई नहीं होने पर दूसरी बार फिर से रिट लगाई थी, जिस पर उन्हे सुनवाई के दिसंबर का समय मिला है।
डॉ. ओहरी ने चुनाव आयुक्त ओपी रावत से भी भोपाल में जाकर मुलाकात की थी। वहां पर उनके द्वारा उनकी परेशानी बताई गई थी, जिस पर चुनाव आयुक्त ने कहा कि जब आपके विभाग ने ही एनओसी नहीं दी तो उसमें वह क्या कर सकते है। ये विभाग की गलती है, इसमें आप विभाग को पार्टी बना सकते है। इस एक मामले को लेकर पूरा चुनाव नहीं रोका जा सकता है।
शासन को भेजा है आवेदन
– डिंडोर के इस्तीफा वापस लेने के संबंध में आवेदन दिया गया है, जिसे सुनवाई के लिए शासन को भेज दिया गया है। फिलहाल उनके द्वारा कार्यालय में आना शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हे चुनाव संबंधी सभी कार्यों से पूरी तरह से मुक्त रखा गया है।
सोमेश मिश्रा, सीईओ, जिला पंचायत, रतलाम