बजरंगगढ़ की दुली पति दीपक को रावटी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डिलीवरी के लिए शुक्रवार की अपराह्न तीन बजे लाया गया। लैबर पैन होने के बाद शाम करीब साढ़े सात बजे महिला ने 3.1 किलोग्राम के बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के बाद उसका तेजी से रक्तस्त्राव होने लगा। इसकी जांच कराई तो महिला के शरीर में मात्र सात ग्राम हिमोग्लोबिन था। एएनएम ज्योति ने डॉ. पीयूष मांगरिया को कॉल करके बुलाया। डॉ. मांगरिया ने बताया उन्होंने केंद्र में मौजूद विशेष कपड़ा महिला को बांधने और सीधे रतलाम रैफर करने को कहा। महिला के शरीर के विभिन्न हिस्सों पर यह विशेष कपड़़ा बांधकर उसे रतलाम भेजते हुए एमसीएच में इसकी सूचना भी दी। यहां लाने के दौरान और भर्ती करने के बाद महिला का न केवल रक्तस्त्राव रुक गया वरन उसका ब्लड प्रेशर भी पूरी तरह से नियंत्रित हो गया।
इस तरह हुआ ये काम
– प्रसव के बाद होने वाले ज्यादा रक्तस्त्राव से होने वाली मौतों को रोकने के लिए यह विशेष कपड़ा बनाया गया है। इसे नॉन पेनूमेटिक एंटी शॉक गारमेंट (एनएएसजी) नाम दिया गया है।
– रतलाम जिले को इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में स्वास्थ्य विभाग ने रखा है। इसके लिए जिले में २५ प्रसव संस्थाओं को दो-दो सेट, 10-8 जननी वाहनों और एमसीएच में दो-दो सेट उपलब्ध कराए गए हैं।
चार जगह बांधा जाता है यह कपड़ा ज्यादा रक्तस्त्राव वाली महिलाओं को चार जगह विशेष कपड़ा बांधा जाता है। इसमें पैर, कमर, पेट और छाती पर विशेष कपड़ा बांध कर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है जिससे स्क्तस्त्राव भी नियंत्रित हो जाता है। खास बात यह है कि इस कपड़े का एक से अधिक बार कई महिलाओं के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसे धोने की भी विशेष प्रक्रिया है जिससे साफ किया जाता है।
जच्चा व बच्चा दोनों बेहतर
शुक्रवार को लाई गई महिला को प्रसव के बाद तेजी से रक्तस्त्राव होने से एनएएसजी कपड़े से सिक्योर करके रैफर किया गया था। इसके अच्छे परिणाम आए हैं और अब बच्चा और मां दोनों एमसीएच में स्वस्थ हैं।
– डॉ. पीयूष मांगरिया, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रावटी