निगम नहीं दे पा रही पानी
नगर निगम मेडिकल कॉलेज को खुलने से पहले आठ लाख लीटर पानी देने का वादा कर चुकी है। पूरी गर्मी की सप्लाई को देखा जाए तो निगम इस वादे पर न तो खरी उतर पाई और न ही मेडिकल कॉलेज को पानी मिल पाया। इस समय यह कॉलेज प्रारंभिक अवस्था में है और पानी की जरुरत कम लग रही है तब भी निगम इसकी आपूर्ति नहीं कर पा रही है तो जब कॉलेज में अस्पताल खुल जाएगा तो संकट की कल्पना की जा सकती है।
ये हैं दो विकल्प
पहला विकल्प
मेडिकल कॉलेज को धोलावाड़ से सीधे नई पाइप लाइन डालकर पानी उपलब्ध कराया जाए। प्रारंभिक रूप से जो सर्वे किया गया है उसके अनुसार धोलावाड़ से मेडिकल कॉलेज तक की दूरी करीब साढ़े २३ किलोमीटर आंकी गई है।
नगर निगम मेडिकल कॉलेज को खुलने से पहले आठ लाख लीटर पानी देने का वादा कर चुकी है। पूरी गर्मी की सप्लाई को देखा जाए तो निगम इस वादे पर न तो खरी उतर पाई और न ही मेडिकल कॉलेज को पानी मिल पाया। इस समय यह कॉलेज प्रारंभिक अवस्था में है और पानी की जरुरत कम लग रही है तब भी निगम इसकी आपूर्ति नहीं कर पा रही है तो जब कॉलेज में अस्पताल खुल जाएगा तो संकट की कल्पना की जा सकती है।
ये हैं दो विकल्प
पहला विकल्प
मेडिकल कॉलेज को धोलावाड़ से सीधे नई पाइप लाइन डालकर पानी उपलब्ध कराया जाए। प्रारंभिक रूप से जो सर्वे किया गया है उसके अनुसार धोलावाड़ से मेडिकल कॉलेज तक की दूरी करीब साढ़े २३ किलोमीटर आंकी गई है।
दूसरा विकल्प
मेडिकल कॉलेज को कनेरी में सिंचाई विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे नए जलाशय से पानी देने के लिए सीधी पाइप लाइन डाली जाए। प्रारंभिक रूप से हुए सर्वे में कनेरी से मेडिकल कॉलेज की दूरी अनुमानित २२ किलोमीटर बन रही है।
यह करेगा विभाग
विभागीय जानकारी के अनुसार निकाले गए डीपीआर के टेंडर को लेने वाली फर्म दोनों ही विकल्पों पर डीपीआर तैयार करेगी। इनमें किस विकल्प पर कितना खर्च आएगा और किस पर टेक्नीकल रूप से ज्यादा बेहतर परिणाम आ सकते हैं।
——–
दोबारा मंगाएंगे टेंडर
एक बार डीपीआर के लिए टेंडर लगाए जा चुके हैं किंतु कोई फर्म आगे नहीं आई और न ही किसी ने टेंडर भरा है। दोबारा टेंडर लगाने की प्रक्रिया की जाना है जो जल्द ही कर ली जाएगी।
प्रदीप कुमार गोगादे, कार्यपालन यंत्री पीएचई
मेडिकल कॉलेज को कनेरी में सिंचाई विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे नए जलाशय से पानी देने के लिए सीधी पाइप लाइन डाली जाए। प्रारंभिक रूप से हुए सर्वे में कनेरी से मेडिकल कॉलेज की दूरी अनुमानित २२ किलोमीटर बन रही है।
यह करेगा विभाग
विभागीय जानकारी के अनुसार निकाले गए डीपीआर के टेंडर को लेने वाली फर्म दोनों ही विकल्पों पर डीपीआर तैयार करेगी। इनमें किस विकल्प पर कितना खर्च आएगा और किस पर टेक्नीकल रूप से ज्यादा बेहतर परिणाम आ सकते हैं।
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दोबारा मंगाएंगे टेंडर
एक बार डीपीआर के लिए टेंडर लगाए जा चुके हैं किंतु कोई फर्म आगे नहीं आई और न ही किसी ने टेंडर भरा है। दोबारा टेंडर लगाने की प्रक्रिया की जाना है जो जल्द ही कर ली जाएगी।
प्रदीप कुमार गोगादे, कार्यपालन यंत्री पीएचई