रतलाम. कोरोना काल के दौरान 500 लीटर से लेकर इससे अधिक की क्षमता के ऑक्सीजन प्लांट जिले में लगाए गए थे। इसमे दो जावरा, एक जिला चिकित्सालय, एक मेडिकल कॉलेज और एक रेलवे अस्पताल में लगा था। मेडिकल कॉलेज में जो ऑक्सीजन प्लांट लगा था उसकी तत्कालीन समय में कीमत करीब 17 लाख रुपए थी और इसको शहर विधायक चेतन्य काश्यप के फाउंडेशन ने लगाया था। इस दौरान जिले में शेष स्थान पर भी ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। बड़ा सवाल ये है कि जब ये प्लांट लगाए गए तो अब बाहर से ऑक्सीजन खरीददारी क्यों की जा रही है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
इस तरह समझे इसको वर्ष 2020 में जब कोरोना का आगमन हुआ तब पहले चरण में भर्ती हुए मरीजों को अधिक नुकसान नहीं हुआ। मेडिकल कॉलेज, रेलवे अस्पताल सहित अन्य स्थान पर भर्ती किए गए मरीज आसानी से इलाज लेकर स्वस्थ्य हुए। बाद में जब दूसरा चरण आया तो इससे काफी की जान गई। इसमे सबसे अधिक जरुरत ऑक्सीजन प्लांट की ही लगी। इसके बाद ही इसके प्रति सचेत सभी हुए और जिले में पांच स्थान पर इन प्लांट को लगाया गया, लेकिन अब ये अनुपयोगी हो गए है।
इतना किया था व्यय रतलाम के मेडिकल कॉलेज में लगे प्लांट का वर्चुअल मई 2021 के अंत में लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था। 2021 में ही जून माह में जिला चिकित्साय में प्लांट शुरू किया गया। एक मिनट में 500 लीटर याने 27 मीटर क्यूब वाले इस प्लांट को लगाया गया था। रेलवे अस्पताल में ही 2021 जून माह में इसी तरह का प्लांट 17 लाख रुपए की लागत से लगाया गया। करीब ये ही कीमत पर जावरा में भी इनको लगाया गया। अब लाखों रुपए का व्यय कर लगाए गए प्लांट की उपयोगिता इसलिए नहीं रह गई, क्योंकि निजी क्षेत्रों से ऑक्सीजन तो खरीदी जा रही है, लेकिन जो प्लांट है उसका उपयोग ही नहीं हो रहा है।
बड़े स्तर पर उपयोग अस्पताल में लगे ऑक्सीजन प्लांट का उपयोग बड़े स्तर पर होने वाली किसी घटना पर जरुरत के लिए है। सामान्य स्तर पर जरूरत अनुसार ऑक्सीजन पूर्व अनुसार ली जा रही है।
– डॉ. पी ननावरे, सीएमएचओ रतलाम