पहले जाने क्यों आया ये नियम असल में रेल चालक व गार्ड्स की पेटी को चढ़ाने व उतारने के कार्य के लिए रेलवे ठेका देती रही है। न सिर्फ रतलाम मंडल बल्कि देशभर में ये पेटियों को चढ़ाने वाले कभी वेतन को लेकर तो कभी अन्य कारण से हड़ताल करते रहे है। इसके चलते न चाहते हुए भी ट्रेन लेट होती रही है। इसको देखते हुए रेलवे ने जो सामान 130 वर्षो से लोहे की पेटी में जा रहा था, वो अब ट्रॉली बैग में ले जाने के आदेश जारी कर दिए।
इसलिए गलत है ये इस मामले में रेलवे के गार्ड्स का विरोध है। इनका कहना है कि सुरक्षा की दृष्टि सहित विस्फोटक कानून के अनुसार भी इसका परिवहन बगैर अनुमती के करना गलत है। इसको एेसे समझे कि कल को किसी परिवार में अनजाने में ही बच्चे ने डेटोनेटर को खोल दिया व उसमे विस्फोटक हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा। जब विस्फोट होगा तो एक साथ 10 डेटोनेटर में होगा। एेसे में न सिर्फ गार्ड का परिवार बल्कि आसपास के लोग भी इसकी जद में आएंगे।
ये कहता है विस्फोटक कानून विस्फोटक कानून के अनुसार डेटोनेटर या अन्य कोई विस्फोटक पदार्थ को घर में रखने के लिए नियम अनुसार जिला प्रशासन से अनुमती लेना होती है। इसके लिए समय बांड अनुसार लाइसेंस जारी होते है। इसके अलावा हल्के विस्फोटक घर में व भारी विस्फोटक के लिए गोडाउन होना जरूरी है। डेटोनेटर भारी विस्फोटक पदार्थ में आता है। एेसे में इसको वो भी एक साथ दस छड़ को रखना कितना खतरे वाला होगा इसको समझा जा सकता है।
हमारा विरोध है इस पर इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर विरोध ऑल इंडिया गाडर््स काउंसिल ने शुरू कर दिया है। न नियम न सुरक्षा किसी भी स्थिति में ये सही निर्णय न है। इसका विरोध आमजन को भी रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर करना चाहिए। मंडल में 550 गाड्स इसका विरोध कर रहे है।
– शंभु शर्मा, मंडल अध्यक्ष, ऑल इंडिया गाडर््य काउंसिल नियम का पालन करना होगा रेलवे के वरिष्ठ कार्यालय ने ये नियम गाडर््स की सहुलियत के लिए बनाया है। इससे उनको कम वजन उठाना पडेग़ा। नियम है तो पालन करना होगा। जहां तक डेटोनेटर की बात है तो इस बारे में वरिष्ठ कार्यालय निर्णय लेगा।
– जेके जयंत, जनसंपर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल