राशन घोटाले की जांच तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने शुरू की थी, जिसमें प्रारंभिक रूप से शहर की दस राशन दुकानों की जांच में करीब दस करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में विभाग के तत्कालीन अधिकारी के साथ नगर निगम के कुछ अधिकारी व ठेकेदार के साथ दुकानदार व सेल्समैन के खिलाफ प्रशासन के जांच दल ने एफआईआर भी दर्ज कराई थी। उसके बाद जिलेभर में करीब 23 हजार फर्जी राशन कार्ड अगले छह से नौ माह में खत्म हो गए थे, जिनके नाम से हर माह लाखों रुपए का राशन उठ रहा था।
दुकान से राशन की कालाबाजारी के मामले में खाद्य विभाग के अधिकारी अब दुकान के राशनकार्डों की जांच करने की बात भी कह रहे है। यदि पूर्व में हुए सत्यापन की तरह सही तरीके राशन कार्ड की जांच होती है, तो यहां से भी कुछ फर्जी कार्ड मिलने की संभावना अधिकारी जता रहे है, जिसके चलते उक्त कार्ड पर जारी होने वाले राशन की कालाबाजारी का खेल जारी है। दरअसल राशन की कालाबाजारी रोकने के लिए शासन ने पीओएस मशीन पर अंगूठा लगाकर या जिसका अंगूठा न लगे उसका आधार कार्ड देखकर राशन देने के निर्देश दिए थे, उसके बाद भी यहां पर फर्जीवाड़े का खेल जारी है।
जांच में उजागर हुई अनियमितताएं – उक्त दुकान की शिकायत मिली थी, जिसकी जांच में करीब 1 क्विंटल 85 किलो गेहूं कम पाए गए है और 2 क्विंटल 26 किलो नमक व 31 किलो चांवल स्टॉक में अधिक पाए गए है। दुकान में अन्य अनियमितताएं भी उजागर हुई है, जिसके चलते आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत प्रकरण बनाया जाएगा।
विवेक सक्सेना, डीएसओ