इस मंत्री के कारण रतलाम को मिली तवज्जो
भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड में करीब 12 वर्षो से काबिज दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत एक बार फिर मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने है। गहलोत मूलत: उज्जैन जिले के नागदा के निवासी है और रतलाम जिला उनकी राजनीतिक कर्मभूमि रहा है। गहलोत के बेटे जितेन्द्र रतलाम जिले की आलोट विधानसभा सीट से ही विधायक भी बन चुके है, हालांकि वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव जितेन्द्र कांग्रेस के मनोज चांवला से हार गए।
भारतीय जनता पार्टी संसदीय बोर्ड में करीब 12 वर्षो से काबिज दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत एक बार फिर मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने है। गहलोत मूलत: उज्जैन जिले के नागदा के निवासी है और रतलाम जिला उनकी राजनीतिक कर्मभूमि रहा है। गहलोत के बेटे जितेन्द्र रतलाम जिले की आलोट विधानसभा सीट से ही विधायक भी बन चुके है, हालांकि वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव जितेन्द्र कांग्रेस के मनोज चांवला से हार गए।
गहलोत के सहारे रतलाम को मिल सकता है लाभ
राज्यसभा के सदस्य गहलोत का रतलाम से लगाव भी है, वे जिले में सक्रिय रहते है। मोदी कैबिनेट में गहलोत को पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय मिला था, कैबिनेट 2.0 में भी गहलोत को मोदी ने फिर से उसी मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया है। इससे रतलाम जिले में इस विभाग के मार्फत कुछ नई योजनाओं पर काम शुरू हो सकेगा। भाजपा के पदाधिकारी भी मानते है कि गहलोत का मंत्री बनना रतलाम को लाभ देगा।
राज्यसभा के सदस्य गहलोत का रतलाम से लगाव भी है, वे जिले में सक्रिय रहते है। मोदी कैबिनेट में गहलोत को पहले सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय मिला था, कैबिनेट 2.0 में भी गहलोत को मोदी ने फिर से उसी मंत्रालय का जिम्मा सौंप दिया है। इससे रतलाम जिले में इस विभाग के मार्फत कुछ नई योजनाओं पर काम शुरू हो सकेगा। भाजपा के पदाधिकारी भी मानते है कि गहलोत का मंत्री बनना रतलाम को लाभ देगा।