इस तरह समझे इसको
रेलवे प्लेटफॉर्म, टे्रन या रेल परिसर में बगैर टिकट पाए जाने पर रेलवे के टीटीई या टीटी यात्री मानकर अंतिम ट्रेन का वो किराया वसूलते है, जहां से ट्रेन चली होती है। एेसे में कोई व्यक्ति अमृतसर से आई गोल्डन टेंपल मेंल के दौरान प्लेटफॉर्म पर पकड़ में आता है तो रेलवे इस प्रकार के यात्री से अमृतसर से रतलाम तक का किराया दंड स्वरुप वसूलती है। जबकि इस मामले में नियम धारा १४७ के अनुसार ट्रेनपासर के रुप में अधिकतम २५० रुपए दंड का है।
इस तरह खुला राज
असल में मैसूर के उपभोक्ता फोरम में किसी यात्री ने इस मामले में मामला उठाया था। अपील के दौरान तर्क सुनने के बाद फोरम ने निर्णय दिया कि धारा १४७ के अनुसार ही प्लेटफॉर्म या रेल परिसर में आए यात्री पर कार्रवाई होना चाहिए। उसको बगैर टिकट नहीं माना जा सकता।
ये कहती है धारा १४७
रेलवे एक्ट की धारा १४७ के अनुसार अगर कोई व्यक्ति बगैर प्लेटफॉर्म टिकट रेलवे स्टेशन पर पाया जाता है तो रेल कर्मचारी उसको बाहर कर सकते है। अगर वो जाने से इंकार करें तो २५० रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा अगर वो व्यक्ति किसी प्रकार की तोडफ़ोड़ करें तो उस पर एक हजार रुपए का जुर्माना या छह माह की जेल हो सकती है।
मिलता है पांच प्रतिशत प्रोत्साहन
असल में भारतीय रेलवे में १५० रसीद बनाने या ३० हजार या उससे अधिक का दंड वसूलने पर पांच प्रतिशत की प्रोत्साहन राशि टीटी को दी जाती है। इसके चलते ही इस प्रकार के यात्री मिलने पर इनको ट्रेसपासर मानने के बजाए बगैर टिकट की र्कावाई कर दी जाती है।
नियम अनुसार कार्रवाई होती
रेलवे का नियम है कि जहां से ट्रेन चली है वहीं से जहां यात्री पकड़ में आया है, उतनी यात्रा का टिकट की राशि को दंड स्वरुप वसूला जाता है। हम नियम से बाहर नहीं जा सकते है। ट्रेसपासर के नियम से कार्रवाई करें तो हर कोई बगैर टिकट प्लेटफॉर्म पर आए। वैसे भी मंडल में लास्ट के स्टेशन से पकडे़ गए स्टेशन तक के किराए को दंड स्वरुप वसूला जा रहा है।
– राजेश वर्मा, अध्यक्ष, ऑल इंडिया टिकट चेकिंग स्टॉफ आर्गेनाइजेशन, रतलाम मंडल