रतलाम (नामली)। महू से इंदौर होते हुए रतलाम आकर चित्तौडग़ढ़ जाने वाली यात्री ट्रेन क्रमांक 79303 डेमू ट्रेन के यात्रियों ने गुरुवार को रेल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ट्रेन को अनेक बार उन स्टेशन पर रोका गया, जहां पीने का पानी भी नहीं है। चार धंटे से अधिक समय से देरी से चल रही ट्रेन के बार-बार रुकने से नाराज यात्रियों ने जमकर हंगामा किया। जब रेलवे के अधिकारियों को शिकायत हुई तो सहयोग के बजाए उल्टे उनको जेल भेजने की बात बोल दी गई।
महू से ट्रेन में बैठे यात्री जीत कुमार ने बताया की ट्रेन के ट्रेन महू से समय पर चली थी। रतलाम तक ये समय पर चलती रही। रतलाम से इस ट्रेन को डेढ़ घंटे देरी से चलाया गया। सुबह 9.55 बजे के बजाए ये ट्रेन सुबह 11.30 बजे बाद चली। इसके बाद इसको धोंसवास जैसे स्टेशन पर रोका गया, जहां पर पीने का पानी भी नहीं था। 5 किमी लंबे के रतलाम से धोंसवास के रास्ते को पूरा करने में ट्रेन ने 40 मिनट का समय लिया।
नामली में किया जमकर विरोध इसके बाद ट्रेन नामली में दोपहर 1.35 बजे बाद पहुंची। यहां पहुंचने के बाद ट्रेन को सिग्नल होने के बाद भी नहीं चलाया गया। इससे यात्री जमकर नाराज हो गए। यात्रियों ने रेल अधिकारियों के खिलाफ मुर्दाबाद से लेकर तानाशाही नहीं चलेगी के नारें लगाए। जिस ट्रेन को सुबह 10 बजे नामली पहुंचना था, वो दोपहर 1.30 बजे बाद पहुंची। इससे यात्री नाराज हुए। इतना ही नहीं, जब यात्रियों ने रेल अधिकारियों को फोन लगाकर सहयोग मांगा तो उनको जेल भेजने की धमकी दे दी गई। इतना ही होता तो ठीक था, यात्रियों के अनुसार इस ट्रेन को एक घंटे से भी अधिक समय तक रोककर दोपहर 2 बजकर 40 मिनट पर चलाया गया।
इस वजह से देरी से चली रेल अधिकारियों के अनुसार सुबह 10 बजे बाद से पश्चिम रेलवे के मुख्य सेफ्टी कमीश्नर सुशील चंद्रा जावरा तक विद्युतिकरण कार्य के निरीक्षण पर रहे। उनका निरीक्षण सुबह 9 बजे से शुरू होना था, लेकिन उनको देरी होने के चलते यात्री ट्रेन को भी लगातार देरी से चलाया गया। इसके चलते यात्री इस ट्रेन में सबसे अधिक परेशान हुए। बड़ी बात ये है की ट्रेन में पेंट्रीकार नहीं होने की वजह से यात्री पानी को भी तरस गए।