रतलाम

#Ratlam Chaitra Navratri: शक्तिपीठ: गर्भगृह में मां कालिका-कालभैरव

रतलाम। चैत्र माह की एकम से शक्ति की भक्ति का पर्व नवरात्र मनाया जा रहा है, जिले के चहुंओर पहाडिय़ों पर मातारानी अलग-अलग रूपों में विद्यमान है। प्राचीन शक्तिपीठ अपनी अलग ही पहचान रखते है। शहर से 32 किमी दूर सातरूण्डा की टेकरी पर मां कंवलका का दरबार लगता है। मंदिर के गर्भगृह में मां कालिका के साथ कालभैरव भी विराजमान है। प्राचीन मंदिर में नवरात्र के दौरान हजारों भक्त दूर दूर से दर्शनार्थ पहुंचते हैं, मां को यहां पहुंचने वाले भक्त मदिरा को भोग लगाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

रतलामApr 13, 2024 / 11:26 pm

Gourishankar Jodha

Chaitra Navratri Shaktipeeth news ratlam

मंदिर के पुजारी प्रकाश गिरी गोस्वामी का कहना है कि हमारा परिवार दस पीढिय़ों से मां के सेवा कर रहा है। मंदिर प्रसिद्धी देश-विदेश तक विख्यात है। हमारे पूर्वज नागासाधु रहे कन्हैयागिरी और उत्तमगिरी ने माता मंदिर को चैतन्य किया था, बरसों तक उन्होंने ही पूजा की। इसके बाद बहुत सालों तक सेवा होती रही और फिर बाद में परिवार में से कोई गृहस्थ हो गया। परम्परागत पूजा पाठ परिवार के सदस्य करते आ रहे है। अष्टमी पर हवन होगा, नवरात्र में प्रतिदिन हजारों भक्त पहुंच रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि मदिरा का भोग लगाए बगैर माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। पूर्व माता मंदिर तक पहुंचने लिए सीढिय़ों से जाना पड़ता था, लेकिन अब सडक़ मार्ग मंदिर की पीछे से मंदिर के द्वार तक बन चुका है। जिससे आसानी से वाहन से भक्त पहुंच रहे हैं।
ऐसी है मान्यता, मन्नत होती पूरी


ऐसी मान्यता है कि मां कंवलका के नीचे भैंसासरी माता का मंदिर है। जहां पर धर्मालु मान्यतानुसार सिक्का चिपकाता है, अगर सिक्का चिपक जाता है तो माना जाता है कि मांगी हुई मन्नत पूरी हो जाएगी। माता के होठो पर मदिरा का भरा हुआ प्याला लगाते ही मदिरा गायब हो जाती है। इसके बाद बची हुई मदिरा को प्रसाद के रूप में भक्तों की वितरण की जाती है। मंदिर के पीछे कई किवंदतियां है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर पांडव कॉल में अज्ञातवास के दौरान बनाया गया था,
गर्भगृह में कालभैरव-मां काली-शिव विराजमान


मंदिर की पहाड़ी पर गुफा है, जिसमें कालभैरव विराजमान है। इसके बाद गर्भगृह में शिवलिंग, कालभैरव और मां कालिका की प्राचीन प्रतिमा विराजमान है। पहाड़ी पर लालबाई फूलबाई का मंदिर है। हरियाली अमास्या पर यहां हर वर्ष मेला लगता है। इसके अलाव शारदीय और चैत्र नवरात्र के दौरान हजारों भक्त मंदिर पहुंचते हैं।

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