मां और बेटे अंतिम यात्रा पर साथ निकले तो हर किसी के छलके आंसू
मां और बेटे अंतिम यात्रा पर साथ निकले तो हर किसी के छलके आंसू
मां और बेटे अंतिम यात्रा पर साथ निकले तो हर किसी के छलके आंसू
रतलाम। मां की दिन रात सेवा करने वाले बेटे की मौत उनके सामने ही हो जाए तो मां के दिल पर क्या गुजरती है। उनके कलेजे के टुकड़े की मौत का सदमा ऐसा लगा कि महज तीन घंटे के बाद ही मां के भी प्राण पखेरू उड़ गए। जिसने भी यह वाकया सुना वह अवाक रह गया। मां और बेटे के एक साथ निधन के समाचार ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया कि मां और बेटे एक साथ इस दुनिया से जा रहे हैं। शनिवार को मां और बेटे दोनों की शवयात्रा उनके घर से निकली तो जिसने भी देखा उसकी आंखों में आंसू आ गए।
बिजली कंपनी से सेवानिवृत्त और इस समय अधिवक्ता के रूप में कार्य कर रहे कस्तूरबानगर गली नंबर पांच के निवासी सतीश नागर की बीती रात करीब ११.३० बजे अचानक तबियत बिगड़ गई जब वे टीवी देख रहे थे। उन्हें पड़ौस के डॉक्टर ने देखा और बाद में निजी अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया दिया। पड़ौसी और परिजन रातभर शव को रखने के लिए शव फ्रीजर लाकर घर में रख रहे थे। यह दृश्य देखकर मां भी समझ चुकी थी कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं है। उनकी तबियत खराब हुई। हाथ पैरों में दर्द उठने लगा और थोड़ी देर में चक्कर आने लगे। कोई कुछ समझ पाता इसके पहले ही रात करीब साढ़े तीन बजे मृत्यु हो गई।
शनिवार की दोपहर बाद मां और बेटे दोनों की शवयात्रा एक साथ घर से निकली तो हर कोई सन्न रह गया। शवयात्रा में शामिल लोगों की आंखे भी नम थी तो देखने वालों की आंखे भी नम हो गई। परिजनों ने बताया कि सतीश नागर सेवानिवृत्ति के बाद वकालात करने लगे और दो साल से मां की तबियत ज्यादा खराब होने से वे पूरे समय सेवा करते रहते थे। अब यह योग ही है कि मां और बेटे एक साथ अंतिम यात्रा पर निकले। नागर के पुत्र महेंद्र उस समय बड़ोदरा एवं पुत्री विजयेता गुडग़ांव में थे। सूचना मिलने पर वे रतलाम पहुंचे। शाम 4.30 बजे दोनों की अंतिम यात्रा निकाली गई। मुक्ति धाम में नागर को पुत्र महेंद्र तथा उनकी माता को ज्येष्ठ पुत्र सुशील ने मुखाग्नि दी।
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