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रतलाम

जय बाबा गुरुदेव के सत्संग में उमड़े भक्त

बाबा बोले- परिवर्तन तोड़-फोड़ करने से नहीं विचारधारा बदलने से आता है

रतलामApr 23, 2018 / 05:58 pm

Akram Khan

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रतलाम। परिवर्तन कानून बनाने से या तोड़-फोड़, आंदोलन, हड़ताल से नहीं होगा। परिवर्तन जब लोगों के विचार व भावनाएं बदलेंगी तब होगा। इसके लिए शुद्ध खानपान का होना जरूरी है। संत महात्मा किसी कौम,जाति धर्म मजहब की सीमा में बंधे हुए नहीं होते हैं। वे सबके होते हैं सबकी भलाई व कल्याण के लिए कार्य करते हैं। उनका काम टूटे हुए दिलों को जोडऩा, नफरत -घृणा की खाई पाटकर सबको जगाना सचेत करके प्रेम व शांति का पाठ पढ़ाना व जीते जी मालिक से मिलाने का लक्ष्य होता है।
यह बात बाबा जयगुुरुदेव के उत्तराधिकारी एवं जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज महाराज ने कही। वे रविवार को जयगुरुदेव संगत जिला रतलाम की ओर से आयोजित सत्संग समारोह को संबोधित कर रहे थे। बीबी दोहरे ने बताया कि पंकज महाराज ने १७ से २१ई तक मथुरा में आयोजित वार्षिक भंडारा व ३५ दिवसीय जनजागरण यात्रा के समापन पर २८-२९ अप्रैल को इंदौर में आयोजित सत्संग में भाग लेने का आह्वान किया। इस मौके पर रामकृष्ण यादव, संतराम चौधरी, नारेंद्रसिहं बघेल, पार्षद मनीषा मनोद शर्मा, अमरसिंह निनामा, राजू वसुनिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
मानव शरीर की प्राप्ति सबसे बड़ा वरदान

महाराज ने मानव शरीर की प्राप्ति को सबसे बड़ा वरदान बताया। मानव तन अनमोल है। यह भवसागर से पार जाने का एक मात्र नौका है। कलयुुग में नाम योग साधना सुरत-शब्द की कमाई से प्रभु प्राप्ति संभव है। परमात्मा के पास जाने का एकमात्र दरवाजा दोनों आंखों के बीच से जाता है। जीवात्मा दोनों आंखों के मध्य विराजमान है। इसमें एक आंख, एक कान, एक नाक है। इन्हें खोलकर प्रभु की परासृष्टि को देखा जा सकता है। इसलिए उन्होंने सुरत शब्द (नाम योग) साधना का रास्ता भी बताया। इस मौके पर उन्होंने मानव जीवन की अनमोलता, शरीर पाने का उद्देश्य, गुरु महिमा, शाकाहार-सदाचार,मद्य निषेद्य, अच्छे समाज का निर्माण ,चरित्र उत्थान, परस्पर प्रेम-मोहब्बत आदि विषयों पर सारगर्भित संदेश सुनाया। बिना भगवान के भजन के दुनिया की तकलीफ नहीं जाने वाली है।
जुलूस निकालकर मनाया ३७वां उर्स

सैलाना. मैं मोहम्मद का दीवाना, मैं मोहम्मद का दीवाना, सिलसिला मिल गया निजबती हो गई पीर ऐसा मिला जन्नती हो गई। मेरा ईमान नबी है। नबी मेरे जान नबी है, हुसैन आपको हिन्दुस्तान बुलाता है… जैसे कलाम शनिवार रात को गूंज उठे। उज्जैन से आए कलाकारों ने देर रात तक समा बांधे रखा। नगर के करिया रोड पर स्थित प्राचीन दुदैन सैय्यद की दरगाह पर ३७वें उर्स का आयोजन किया गया। इसके पहले शाम को नगर में जुलूस निकालकर रात को सात बजे बाद दरगाह पर चादर पेश की गई। उज्जैन की कव्वाल पार्टी ने ऐसा समा बांधा कि देर रात्रि कव्वाल प्रेमी जमे रहे। कार्यक्रम के दौरान ही लंगर का आयोजन किया गया। जुलूस मुख्य मार्गों से होते हुए नगर के प्रमुख चौराहों से कुमावत पुरा, समीप दरगाह पर पहुंचा। जहां पर शाम को सात बजे चारों मजारों पर चादर पेश की गई।
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