देेखें PHOTOES : झूले-चकरी की उड़ान, मौत के कुएं में जिंदगी की जंग
देेखें PHOTOES : झूले-चकरी की उड़ान, मौत के कुएं में जिंदगी की जंग
रतलाम. शहर से लगे त्रिवेणी धाम में सात दिवसीय मेले का समापन हो गया। इस दौरान जहां खेलों को बढ़ावा देने के लिए कुश्ती, कबड्डी, शरीर सौष्ठव सहित अन्य स्पर्धाएं हुई वहीं, मेले का परंपरागत आकर्षण भी कायम रहा। आसमानी ऊंचाईयों को छूते झूले और लकड़ी से बने मालवी झूलों ने लोगों को लुभाया तो मौत के कुएं में जिंदगी की जंग देखने के लिए भी हर दिन सैकड़ों लोग पहुंचते रहे। सर्द रात में संस्कृति, साहित्य और कला का संगम भी हुआ। अभा कवि सम्मेलन के साथ मुशायरे ने छाप छोड़ी। मेले का सबसे बड़ा आकर्षण परंपरागत मटकों और लकडिय़ों का कारोबार इस बार भी रहा।सर्द हवाओं के बावजूद हर दिन मेले में बड़ी संख्या में शहरवासी और आसपास के गांव के लोग पहुंचते रहे। विशेषकर यह मेला ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों का रहा है। मेले में पहले दिन से ही कारोबार भी अच्छा रहा। अवधि पास आने के बाद रतलाम शहर के संगठनों की मांग पर मेले की अवधि को तीन दिन के लिए और बढ़ाया गया।
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