आदिवासी विकास विभाग में तबादला आदेशों में संशोधन करवाने आने वाले शिक्षकों के अजीबो-गरीब तर्क यहीं समाप्त नहीं हुए। एक शिक्षक ने अपने मूल निवास गांव से स्कूल की दूरी नापकर अधिकारी के सामने कहा सर मेरा घर से स्कूल डेढ़ सौ किलोमीटर है। इतनी दूर पदस्थाना क्यों की जा रही है। यह शिक्षक महोदय नीमच जिले के रहने वाले हैं और उन्हें रतलाम जिले के बाजना विकासखंड के स्कूल में उस शाला में पदस्थ किया गया जहां एक भी शिक्षक इस समय पदस्थ नहीं है। दूसरे शिक्षक ने कहा मुझे ब्लड प्रेशर की बीमारी है और मैं ज्यादा सफर नहीं कर सकता हूं। इसलिए मुझे किसी दूसरे स्कूल में पदस्थ कर दिया जाए।
शासन के निर्देश है कि पति और पत्नी को एक ही जिले में या विकासखंड में रखा जाए। इसी के अंतर्गत भग्गा सेलोत के एक स्कूल में जिसमें कोई शिक्षक नहीं था वहां पति और पत्नी दोनों की नियुक्ति कर दी। शासन के निर्देश का पालन किया तो यहां इन्होंने ही स्कूल की समस्या बखान कर दी। इनका कहना था कि सर हमारे घर या परिवार में कोई काम आता है तो फिर दोनों को कैसे छुट्टी दोगो। दोनों छुट्टी पर चले जाएंगे तो स्कूल बंद हो जाएगा। इसलिए हमें पास के दूसरे स्कूल में अलग-अलग कर दिया जाए। हम दोनों एक ही स्कूल में नहीं रहना चाहते हैें। अब अधिकारी भी इसे लेकर असमंजस में हैं कि इन दोनों का क्या किया जाए।
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तबादले आदेश संशोधन के लिए काफी शिक्षक-शिक्षिकाओं के आवेदन आए हैं। सभी ने अपने-अपने तर्क दिए हैं जो नियमानुसार नहीं है। फिर भी हमने इनकी जांच के लिए दो प्राचार्यों की समिति बना दी है। समिति इनकी जांच करके अपनी रिपोर्ट देगी और इसके बाद निर्णय किया जाएगा।
आरएस परिहार, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग, रतलाम