Staying alive now, Saturn-Guru has changed the move, it will have the effect on every amount
रतलाम। इन दिनों आकाश में शनि-मंगल एक ही राशि में चल रहे है। ज्योतिष में इप दों ग्रहों का साथ होना बेहतर नहीं माना गया है। ज्योतिषियों के अनुसार इन दों ग्रहों के साथ होने से मंहगाई तो बढ़ ही रही है, इसके साथ ही दुर्घटनाएं भी लगातार हो रही है। एेसे में शनि-मंगल की चाल आगामी दिनों में बदलना है। इसको लेकर रतलाम राज परिवार के ज्योतिषी अभिषेक जोशी ने नक्षत्रलोक में विस्तार से भक्तों को राशियों पर होने वाले असर के बारे में बताते हुए सावधान रहने की सलाह दी। ज्योतिषी जोशी ने बताया कि आगामी अप्रैल से सितंबर तक जो बडे़ बदलाव हो रहे है, उससे बडे़ उलट काम होंगे।
ज्योतिषी जोशी ने कहा कि आगामी 18 अप्रैल से 6 सितंबर तक शनि वक्रिय होने जा रहे है। शनि का वक्रिय होना बड़ी घटना होती है। देवगुरु बृहस्पति 9 माार्च से वक्रिय हो गए है। बृहस्पति 10 जुलाई तक वक्रिय रहेंगे। नौ ग्रहों में न्याय का देवता शनि, धर्म के देवता गुुरु प्रत्येक व्यक्ति के भाग्य के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखते है। एेसे में आगामी दिनों में न्याय के मामले में बडे़ निर्णय होंगे। इतना ही नहीं, धर्म से जुडे़ मामलों होने वाले न्याय देश व संस्सकृति के साथ प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर असर डालेंगे। वर्षो से लंबित मामलों का हल निकलेगा।
पहले जाने क्या होता है ग्रह का वक्रिय होना जब भक्तों ने सवाल किया कि वक्रिय होने से क्या आशय होता है तो ज्योतिषी जोशी ने बताया कि ज्योतिष में किसी भी ग्रह के वक्रिय होने से आशय उस ग्रह का स्वाभाविक रुप से चलने के बजाए, आकाश में उल्टा चलना होता है। जब कोई ग्रह उल्टा भ्रमण करता है तब इसे ग्रह का वक्रिय होना कहा जाता है। इस समय शनि व मगल धनु राशि में साथ है। कन्या व वृषभ राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण, घनु राशि वालों को दूसरा व मकर राशि वालों को शनि की साढे़साती का अंतिम चरण चल रहा है। जनवरी 2020 तक इन राशि वालों को ये साढे़साती चलेगी। इसके अलावा गुरु ? ग्रह शुक्र की राशि तुला में है। एेसे में हर राशि वालों को इन ग्रह के वक्रिय होने का बड़ा असर जीवन में होगा।
मेष राशि दशमेश और एकादशेश शनि का गोचर नवम भाव पर वक्री अवस्था में हो रहा हैं। ऐसे में नौकरी में बदलाव के विचारों का त्याग करें। कार्यक्षेत्र के सिलसिले में कई यात्राएं होंगी। यात्राओं करने से पूर्व नियोजन अवश्य करें। कार्यक्षेत्र में परेशानियां कुछ बढ़ सकती हैं। धन निवेश करने से बचें, अन्यथा धन हानि हो सकती हैं। स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें। कार्यभार में कमी होगी, ऋणों में कमी होगीं।
वृष राशि शनि आपके लिए नवमेश व दशमेश होकर योगकारक ग्रह हैं। वर्तमान में शनि की स्थिति आपके अष्टम भाव पर हैं। कार्यक्षेत्र में व्यर्थ की बाधाओं में अचानक कमी होगी, अप्रत्याशित घट्नाओं से भी राहत मिलेगी, इससे पूर्व जो कार्यभार आप पर बढ़ रहा था, उसमें कमी होगी। निराशा और तनाव की स्थिति बन सकती हैं। पैतॄक विवाद फिर से खडे़ हो सकते हैं। वाणी पर संयम रखें। छात्र तनाव और दबाव महसूस करेंगे।
मिथुन राशि शनि आपके लिए अष्टमेश और नवमेश हैं तथा अभी शनि आपके सप्तम भाव पर गोचर कर रहे हैं। इससे आपके वैवाहिक जीवन की सुख-शांति में बढ़ोतरी होगी। कोई नया व्यवसाय शुरु कर सकते हैं। धन कमाने के लिए समय अनुकूल, अविवाहितों का विवाह तय हो सकता हैं। धर्म-कर्म कार्यों में अधिक से अधिक हिस्सा लेंगे। छात्रवर्ग की पढ़ाई में उन्नति और पढ़ाई के क्षेत्र में नई दिशाएं प्राप्त होंगी।
कर्क राशि शनि सप्तमेश व अष्टमेश शनि का गोचर इस समय आपके छ्ठे भाव पर हैं। यह समय देश विदेश की यात्राओं के लिए सर्वोत्तम है। रुका हुआ धन वापस आएगा। नौकरी के अलावा कुछ पार्ट टाइम काम भी शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा संतान की तरफ से कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। परंतु आपको अपने व्यर्थ के खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा अन्यथा धनाभाव की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
सिंह राशि शनि आपके लिए छठे व सातवें भाव के स्वामी का पंचम भाव पर गोचर अवधि में आपको आय में नियमितता बनाए रखने के लिए सामान्य से अधिक प्रयास करने होंगे। दाम्पत्य जीवन में स्नेह और सहयोग बनाए रखने के लिए अपनी ओर से प्रयास करने होंगे। विवाह योग्य व्यक्तियों का विवाह निर्धारित हो सकता है। साझेदारों के साथ रिश्तें मधुर बनाए रखें। मेहनत और निष्ठा बनाए रखने पर आय संचय में परिवर्तित होगी।
कन्या राशि आपके लिए शनि पंचमेश व षष्ठेश है। चतुर्थ भाव पर गोचरस्थ हैं। आपको अपनी माता के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। मानसिक सुख-शांति की कमी का अनुभव होगा। नौकरी और कारोबार में सफलता बनाए रखना सहज नहीं होगा। अचानक से स्वास्थ्य में कमी की स्थिति बन सकती हैं, सावधानी बरतें। मानसिक असंतुष्टि की स्थिति बनी हुई हैं। भूमि-भवन से जुड़ी योजनाओं में व्यर्थ की बाधाएं आ सकती हैं।
तुला राशि चतुर्थेश व पंचमेश शनि का विचरण आपके तीसरे भाव पर हैं, परन्तु इस समय शनि वक्री हैं। पराक्रम में वृद्धि होगी, वाहन चलाते सावधानी बरतें। सोचे गए काम अब सार्थक होंगे तथा इच्छा पूर्ति होगी। इस समय आप पर साढे़साती का अंतिम चरण चल रहा हैं, अत: परिणाम मिले जुले रहेंगे। देश विदेश की यात्राएं भी हो सकती है। नकारात्मक विचारों से बचना होगा। स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं, धार्मिक प्रवृर्ति बनी रहेगी।
वृश्चिक राशि शनि आपके लिए तृतीयेश और चतुर्थेश हैं और गोचर में वक्री होकर वाणी भाव पर गोचर कर रहे हैं। वाणी की अस्पष्टता के कारण परिवारिक मतभेद तथा संचित धन में हानि हो सकती है। इस अवधि में वाणी पर नियंत्रण रखने से लाभ होगा। कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। तीसरी दृष्टि के कारण माता का सुख प्राप्त होगा। भूमि वाहन मकान आदि की योजनाओं पर कार्य बाधित होगा। आय में वृद्धि होगी।
धनु राशि शनि दूसरे व तीसरे भाव के स्वामी हैं। मन में अनावश्यक चिंता बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में उचित निर्णय लेने की शक्ति में कमी के कारण हानि होगी। अवसाद जैसे रोग से कष्ट हो सकता है। दांपत्य जीवन में कलह पूर्ण वातावरण रहेगा। दांपत्य जीवन सुख में नहीं रहेगा। कार्यक्षेत्र में आंशिक सफलता प्राप्त होगी। अधीनस्थ कर्मचारियों के कारण कार्य में हानि हो सकती है। शारीरिक ऊर्जा में कुछ कमी आ सकती है तथा छोटे भाई बहनों से अनबन भी हो सकती है।
मकर राशि लग्नेश व द्वितीय शनि वक्री होने पर आपको आय के नवीन स्रोतों में वृद्धि करेंगे। स्वास्थ्य सुख में कमी। व्ययों की अधिकता रहेगी। लंबी यात्रा का योग ? बन रहा है। शत्रुओं के कारण धन की हानि हो सकती है। बाहरी स्थान से धन में वृद्धि होगी। संचित धन में वृद्धि होगी। कार्य की सिद्धि के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा। अधिक धन निवेश के लिए समय अनुकूल नहीं हैं।
कुंभ राशि शनि लग्न व बारहवें भाव का स्वामी हैं, इस समय आपके दशम भाव में वक्री होंगे इसके प्रभाव से आप तरक्की पाने के लिए पूरी मेहनत करेंगे। विभिन्न आयाम से आय एवं धन की प्राप्ति होगी। समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होगी। प्रतिष्ठित व्यक्तियों से संबंध होंगे। शरीर स्वस्थ एवम आरोग्य रहेगा। भूमि भवन के क्रय-विक्रय के कार्य किए जा सकते हैं। पुराने मकान की मरम्मत का कार्य किया जा सकता हैं।
मीन राशि
आय एवं व्यय दोनों भावों के स्वामी शनि हैं। अधिक परिश्रम के बावजूद कार्य में मनोनूकुल सफलता प्राप्त नहीं हो पाएगी। पिता को शारीरिक कष्ट हो सकता है। बाहरी स्थान से आय में वृद्धि होगी तथा बाहरी स्थान से संबंध हो सकते हैं। माता को शारीरिक कष्ट हो सकता है तथा भूमि वाहन आदि सुख में कमी महसूस होगी।
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