इसके तहत अब हैलीपेड बनाने के लिए दुबारा से निविदाओं का आमंत्रण किया जाएगा। इसके बाद ही अब हैलीपेड बनने का कार्य शुरू हो सकेगा। फिलहाल यह जानकारी अभियंताओं ने उच्चाधिकारियों को भेज दी है। अब उनके स्तर से ही जल्द निविदाओं का आमंत्रण किया जाएगा। अभियंताओं ने बताया कि निविदा जारी होने व वर्क ऑर्डर होने के बाद इस कार्य को पूरा होने में करीब 9 माह का समय लगेगा।
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ब्ल्यू प्रिंट का काम हैलीपेड की हाइट व लैंथ (ऊंचाई व लंबाई) कितनी होगी। इसके लिए संबंधित फर्म को इसके ब्लू प्रिंट तैयार करने के लिए दे रखे है। जल्द इसके ब्लू प्रिंट पर अंतिम निर्णय होगा। इसके बाद हैलीपेड की हाइट व लैंथ तय की जाएगी।
निर्णय इसलिए किया राज्य सरकार ने जिले के मरीजों को बड़े अस्पतालों में उपचार के लिए जाने के लिए एयर एम्बुलेंस की सुविधा प्रदान करने के लिए जनाना अस्पताल की छत पर हैलीपेड बनाने का निर्णय किया था। इसके तहत आरएसआरडीसी के अभियंताओं ने पहले सर्वे किया था। सर्वे के आधार पर जनाना अस्पताल के पिल्लरों व छत के बारे में अध्ययन कर यहां एयर एम्बुलेंस उतरने की संभावनों के बारे में जानकारी जुटाकर राज्य सरकार को भेजी थी। इसी आधार पर यहां मरीजों को सीधे बड़े अस्पतालों में भेजने के लिए एयर एम्बुलेंस उतारने का फैसला किया था।
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यूं चला घटनाक्रम राज्य सरकार ने पहले जनवरी 2008 में जनाना अस्पताल की छत पर हैलीपेड बनाने का निर्णय ऊपर बनने वाले फ्लोर के साथ ही किया था। लेकिन दिसम्बर 2008 में सरकार बदलने के साथ ही नई सरकार के गठन के साथ ही यह निर्णय बदल गया। इसके बाद दिसम्बर 2013 में नई सरकार के गठन के बाद वर्ष 2014 में गर्वनिंग काउंसिल की बैठक में इसकी संभावनाएं टटोलने की बात हुई। इसके बाद वर्ष 2015 में सर्वे व 2016 में इस पर अंतिम निर्णय कर राज्य सरकार ने स्वीकृति जारी की।
सहायक अभियंता आरएसआरडीसी जे.पी.गुप्ता का कहना है कि जनाना चिकित्सालय में बनने वाले हैलीपेड के लिए निविदाओं का आमंत्रण किया था। लेकिन इसमें कंपनियां नियम व शर्तों के अनुरूप नहीं होने के कारण डिस्कवालिफाई हो गई।