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रतलाम

भाजपा नेता ने दी अधिकारी को निलंबित कराने की धमकी

भाजपा नेता ने दी अधिकारी को निलंबित कराने की धमकी

रतलामFeb 01, 2019 / 09:04 pm

Sourabh Pathak

patrika

पाला पडऩे की दो रिपोर्ट, कौन सी सही नहीं पता

रतलाम। जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में दिसंबर 2018 के अंत में पाला गिरने से खराब हुई फसलों को प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में बेहतर होना बता दिया है। इस बात से नाराज होकर ग्रामीण विधायक के साथ भाजपा नेता व किसान शुक्रवार को प्रभारी कलेक्टर से मिलने जिला पंचायत पहुंचे। उसके बाद भू-अभिलेख कार्यालय पहुंचकर एसएलआर से चर्चा की, जिसमें विधायक व नेताओं ने गलत रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने की बात कहते हुए निलंबन की कार्रवाई कराने तक की बात कह दी।
किसानों के साथ प्रभारी कलेक्टर सोमेश मिश्रा से मिलने पहुंचे ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना ने बताया कि 28 से 31 दिसंबर 2018 को पाला पडऩे से शहर से सटे क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की चने की फसल खराब हो गई है लेकिन प्रशासन ने अपनी सर्वे रिपोर्ट में फसलों में कहीं पर भी नुकसानी नहीं होने की बात कही है। इस बात से नाराज विधायक ने फिर से जांच कराते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कराए जाने की मांग की।
विधायक ने बुलाया तो क्यो नही आए
प्रभारी कलेक्टर से मिलने के बाद ग्रामीण विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि भू-अभिलेख कार्यालय पहुंचे और एसएलआर एमएल बारस्ते से मिले। विधायक मकवाना ने कहा कि जब आपको फोन कर जिला पंचायत बुलाया गया तो आप वहां क्यो नहीं आए। आपके यहां फोन उठाने वालों को ये भी नहीं पता कि जिपं कहा है। इस बात पर बारस्ते ने कहा कि मैं यहां नया हूं। ये शब्द सुनकर विधायक ने पूछ लिया कब से इस कार्यालय में काम कर रहे हो, इस पर एसएलआर ने तीन माह से यहां होने की बात कही। ये सुनते ही विधायक ने पूछ लिया कि तीन माह में चार कदम दूर जिपं भी नहीं देखी।
दिखाओं क्या भेजी रिपोर्ट
विधायक के साथ मौजूद किसान आयोग के पूर्व अध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार ने कहा कि दो दिन पहले एसएलआर पांडे के नाम से खबर प्रकाशित हुई थी, वो कहा है। यदि वह खबर गलत थी तो आप उसका खंडन कराए। इस बीच विधायक बोल पड़े कि मुझे तो आप जो रिपोर्ट शासन को भेजी है, वह दिखाए। इस पर अधिकारी ने रिपोर्ट मंगाकर दिखाई तो उसमें शासन से चाही गई राशि की आवश्यकता नहीं होने की बात लिखी हुई थी।
किसानों ने पानी डालकर बचा ली फसल
एसडीएम के माध्यम से भेजी गई रिपोर्ट जब जनप्रतिनिधि व किसानों के सामने आई तो उसमें लिखा था कि 28 से 31 दिसंबर 2018 तक पाला पडऩे व शीतलहर से 72 गांवों के 24,787 किसान प्रभावित हुए है। चना फसल में 25 से 33 प्रतिशत तक फसल की नुकसानी पाई गई थी। इसके तहत एक करोड़ 25 लाख 60 हजार रुपए की राशि आंवटित किए जाने की मांग की थी, लेकिन 27 जनवरी को फिर से सर्वे किए जाने के बाद 15 से 20 प्रतिशत नुकसानी होने की बात कही। प्रशासन की रिपोर्ट में तर्क दिया गया कि पाला पडऩे व शीतलहर के बाद किसानों के सिंचाई करने व मौसम सामान्य रहने से नुकसान कम हुआ है।
फसल कटाई पर पता चलेगा
रिपोर्ट में यह भी लिखा था कि नुकसानी का वास्तविक आंकलन फसल कटाई होने के बाद पता चलेगा। एेसे में पूर्व में की गई राशि की मांग की वर्तमान में जरुरत नहीं है। ग्रामीण नेताओं ने भू-अभिलेख अधिकारी को पांच दिन में फिर से रिपोर्ट बुलवाकर सही रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही। एेसा नहीं करने पर उनके द्वारा किसानों के साथ यहां धरना देकर बैठने के साथ निलंबन की कार्रवाई कराने की बात कही है।
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