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तरुण संवाद दसवां दिन: संन्यास के प्रति लगन और गंभीरता बचपन के तरुण सागर में देखते ही बनती थी

पुष्पगिरी पर क्षुल्लक पर्वसागर ने जीवन संवाद कार्यक्रम के दौरान सुनाया दृष्टांत

रतलामJun 10, 2020 / 07:52 pm

sachin trivedi

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सोनकच्छ. समाधिस्थ जैन आचार्य तरुणसागर के 53वें तरुण अवतरण महोत्सव (जन्म जयंती) के 26 दिवसीय तरुण जीवन संवाद कार्यक्रम में बुधवार को क्षुल्लक पर्व सागर ने तरुणसागर के जीवन पर संवाद करते हुए बताया कि संन्यास की राह पर बढऩे के बाद जब एक माह बीत गया और गुरु पुष्पदंतजी के साथ बालक पवन मध्यप्रदेश के गोटेगांव पहुंचे और वहां ग्रीष्मकाल के दो माह व्यतीत किए, उस समय गणाचार्य पुष्पदंतजी आचार्य नहीं बने थे, फिर भी शिष्य परंपरा आचार्यों की भांति आरंभ और चलाना जानते थे। संघ में ब्रह्मचारी पवन (तरुणसागर) के साथ उनकी उम्र से बड़े दो युवा ब्रह्मचारी और संघ में आ चुके थे तो उन तीनों को धर्म ग्रंथ का अध्ययन करवाना और उन ग्रंथों को याद करवाना आरंभ किया। वे दिन में दो बार पृथक-पृथक विषयों के ग्रंथ पढ़ाते थे। पवन गुरु की आज्ञा पालन और पूरे समय मौन रहकर अपने अध्ययन में व्यस्त हो चुके थे। गुरु पुष्पदंत को पवन और उसकी लगन पर पूर्ण विश्वास हो चुका था कि यह अधिक कुशाग्र बुद्धि का है। गुरु पुष्पदंत को आश्चर्य तब हुआ जब उन्होंने देखा कि मात्र 2-3 बार पढऩे से ही पवन को संस्कृत और प्राकृत के श्लोक याद हो जाते हैं और साथ ही बाल्यावस्था होने के बावजूद वे परिपक्व, गंभीर और बाल युवा वृद्ध के बीच संत की गरिमा महिमा बनाने में कुशल दिख रहे हैं। हर एक की जुबां पर पवन का नाम सर्वाधिक सुनने में आने लगा और कम उम्र में इतनी समझ व पढ़ाई में निपुणता से सबके आकर्षण के केंद्र बन गए। कालांतर में नन्हे ब्रह्मचारी पवन देश के क्रांतिकारी व चॢचत संत बने।
फिरोजाबाद गुरुपरिवार ने की आरती
तरुण संवाद के दूसरे चरण के दूसरे दिन श्रद्धालुओं से तरुण जीवन संवाद में प्रश्न के अंतर्गत पूछा गया कि उनकी क्षुल्लक दीक्षा स्थली क्या थी। साथ ही 26 दिवसीय अखंड संध्या गुरु आरती गुरुपरिवार फिरोजाबाद उत्तरप्रदेश ने की।
देेंखे, पत्रिका देवास फेसबुक पेज पर लाइव आरती
प्रतिदिन रात 8 बजे ऑनलाइन आरती हो रही है। पत्रिका के फेसबुक पेज पत्रिका देवास पर इस लाइव आरती को देखा जा सकता है। कोड को स्कैन करने पर आप आरती से जुड़ सकते हैं।
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