23 जुलाई को भाजपा के पार्षद प्रहलाद पटेल ने पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी को अलकापुरी चौराहा के मजदूरों को लेकर एक पत्र दिया था। इस पत्र की भाषा शैली पर जयस और आदिवासी समाज संगठन ने कड़ा विरोध दर्ज कराया था। आदिवासी समाज संगठन ने तो इस पत्र के बाद 24 जुलाई को भाजपा पार्षद के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया था। इसके बाद मामला और गहरा गया था। मालूम हो कि विश्व आदिवासी दिवस पर सीएम कमलनाथ ने आदिवासियों के लिए कई सौगातों की घोषणा की है, लेकिन इस दिवस के एक दिन बाद ही रतलाम की कलेक्टर ने आदिवासी मजदूरों को एक प्रमुख चौराहा से हटाने का फरमान सुना दिया है। अब इस फरमान को लेकर जयस विरोध में आ गया है तो आदिवासी समाज भी नाराजगी जता रहा है।
मामले में सोशल मीडिया सहित आदिवासी समाज के विरोध के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष राजेन्द्रसिंह लुनिया ने पार्षद पटेल को एक नोटिस जारी किया था। इसके बाद पटेल ने अलकापुरी उद्यान में आदिवासी समाज संगठन के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की थी। चर्चा के बाद दोनों ही पक्षों में सुलह हुई और उद्यान विकास में भागीदार की बात कही गई थी।
ये कैसा फैसला
सडक़ सुरक्षा समिति के फैसले के बारे में किसी स्तर से जानकारी नहीं मिली है, आदिवासी समाज संगठन के प्रतिनिधियों से इस पर कोई चर्चा भी नहीं की गई। आदिवासी मजदूरों के हित में हम आवाज उठाएंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन का सहारा लेंगे।
– डॉ. अभय ओहरी, जिलाध्यक्ष जयस रतलाम
चौराहा हटाने की बात नहीं हुई
अलकापुरी उद्यान में आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों और पार्षद तथा हमारे बीच चौराहा के मजदूरों को हटाने जैसे कोई बात नहीं हुई थी। बैठक में पार्षद ने अपनी बात रखी थी। – राकेश मिश्रा, भाजपा पदाधिकारी रतलाम