रतलाम

मति में भगवत चिंतन होना चाहिए-पं. अश्विनी शास्त्री

रतलाम। व्यक्ति की जैसी मति होगी, उसकी वैसी गति हो जाएगी, इसलिए व्यक्ति की मति में विकृति नहीं होना चाहिए। मति में भगवत चिंतन होना चाहिए। अच्छे कामों के लिए कोई भी मुहूर्त नहीं होता है।

रतलामAug 11, 2023 / 10:55 pm

Gourishankar Jodha

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यह बात कालिका माता परिसर में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के दौरान पंडित अश्विन शास्त्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं से कही। श्री कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट श्री शिव आराधना समिति व जन सहयोग से आयोजित कथा में पं. शास्त्री कहा कि भगवान एक छोटे से पत्र (तुलसी पत्र) से लेकर जल की छोटी सी बूंद पर रीझ जाते हैं। भगवान को कोई भी पुष्प प्रिय है। वहीं मां भगवती को रक्त पुष्प प्रिय है। भगवान गणपति को तुलसी पत्र अर्पण नहीं किया जाता। तुलसी की मंजरी अर्पण की जाती है।
डोर दीनानाथ के हाथ सौंप दो
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को किसी भी चीज का अभिमान नहीं करना चाहिए तथा भगवत समर्पित हो जाना चाहिए, अपने जीवन की डोर दीनानाथ के हाथ में सौंप देना चाहिए । समिति प्रवक्ता राकेश पोरवाल ने बताया कि इस अवसर पर आरती समिति अध्यक्ष मोहनलाल भट्ट ट्रस्ट अध्यक्ष राजाराम मोतियानी, हरीश बिंदल सहित नागरिकों ने की आरती के बाद प्रसादी वितरण किया गया ।

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