पदाधिकारियों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों पर एफआईआर और पदाधिकारियों को छोडऩे की मांग की। भीड़ बढऩे के बाद पुलिस ने पदाधिकारियों को कैद से निकालकर कपड़े पहनवाए और मेडिकल के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। देर रात तक भाजपा नेता जिला अस्पताल में डटे रहे। मामला बढ़ता देख पुलिस ने अस्पताल से ही पदाधिकारियों को छोड़ दिया गया। पदाधिकारियों ने भी पुलिस के खिलाफ कार्रवाई का आवेदन नहीं दिया।
पदाधिकारियों को देखते ही लाठीचार्ज एबीवीपी के जिला संयोजक शुभम चौहान ने बताया कि रात करीब 8.30 बजे जिला एफएसडी प्रमुख कृष्णा डिंडोर अपने दो साथियों के साथ एक मामले में थाने पर आए थे। इस दौरान एक आरक्षक आकर उनके साथ अभद्रता की और गाली-गलौच शुरू कर दी। इसकी सूचना पर एबीवीपी के अन्य पदाधिकारी थाने पर पहुंचे ही थे कि मौके पर पहुंचे सीएसपी ने पदाधिकारियों को देखते ही लाठीचार्ज करवा दिया। इस घटना में कृष्णा के साथ युवा मोर्चा जिला मीडिया प्रभारी हार्दिक मेहता और युवा मोर्चा के मंडल महामंत्री जयेश मजुरिया को कई जगह चोट आई। लाठीचार्ज के दौरान पुलिस ने कृष्णा व हार्दिक को पकड़ लिया।
इनके कपड़े उतारकर मारा कृष्णा व हार्दिक के कपड़े उतरावाकर उनके जमीन पर बैठाया, बाद में हंगामा देख उन्हें बंदीगृह में कैद कर दिया गया। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पुलिस ने कपड़े उतारवाने के बाद उनकी डंडों से पिटाई की। घटना की सूचना पर पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी, जिला महामंत्री प्रदीप उपाध्याय, विष्णु त्रिपाठी, अशोक चौटाला सहित भाजपा के कई नेता थाने पहुंचे और बंदीगृह में कार्यकर्ताओं को बिना कपड़े बैठा देख सीएसपी पर बरस पड़े।
लगातार बरस रही पुलिस की लाठी 29 मई: – दीनदयाल नगर थाना पर पुलिस ने भाजपा और बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज कर दिया था, कार्यकर्ता एक रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुंचे थे। इस हंगामें में आठ कार्यकर्ता घायल हुए थे।
16 जून: – शहर में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच के बाद भारत की जीत पर जश्न मना रहे युवाओं को आतिशबाजी करने से लाठी फटकार कर रोक दिया, बाइक रैली को भी रास्ते से लौटा दिया गया।
17 जून: – सैलाना बस स्टैंड क्षेत्र में सीएम का पुतला जलाने का प्रयास कर रहे अभाविप कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। कार्यकर्ताओं से एक पुतला छीनने के दौरान बहस के बाद लाठीचार्ज किया।
16 जून: – शहर में भारत और पाकिस्तान के बीच मैच के बाद भारत की जीत पर जश्न मना रहे युवाओं को आतिशबाजी करने से लाठी फटकार कर रोक दिया, बाइक रैली को भी रास्ते से लौटा दिया गया।
17 जून: – सैलाना बस स्टैंड क्षेत्र में सीएम का पुतला जलाने का प्रयास कर रहे अभाविप कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। कार्यकर्ताओं से एक पुतला छीनने के दौरान बहस के बाद लाठीचार्ज किया।
पुलिस से किया सवाल नेताओं के पहुंचने पर पुलिस ने जब कार्यकर्ताओं को बंदीगृह से बाहर निकाला तो वे रो पड़े। भाजपा नेताओं ने सीएसपी से पूछा कि ये कोई चोर, लुटेरे, डाकू, हत्यारे या बलात्कारी हैं क्या जो इन्हें कपड़े उतार बंदीगृह में बैठा दिया। नेताओं ने दोनों को तत्काल बाहर निकाल उनकी जिला अस्पताल में एमएलसी कराने और पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज करने की मांग की, सीएसपी ने वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करने के बाद कुछ भी करने की बात कही। कैद पदाधिकारियों को अस्पताल ले जाया गया।
मंगलवार को सड़क पर उतर आया औद्योगिक क्षेत्र थाने के बाहर सोमवार रात एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज के विरोध में पूरा संगठन मंगलवार को सड़क पर उतर आया। एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री चेतस सुखड़िया दोपहर में रतलाम पहुंचे और जिला अस्पताल में भर्ती कार्यकर्ताओं से चर्चा की। घटना को लेकर कलेक्टर से चर्चा को लेकर एबीवीपी कार्यकर्ता उन्हें जिला अस्पताल बुला रहे थे लेकिन वे जब नहीं पहुंची तो कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए। इसके बाद कार्यकर्ता जिला अस्पताल के गेट पर धरने पर बैठ गए जमकर प्रदर्शन किया। एबीवीपी के पदाधिकारियों की माने तो उनके आदिवासी नेता को रात को पुलिस ने लाइट बंद करके जमकर पिटाई की और जूते पर नाक रगड़ाई, जिसके चलते सभी लोग सीएसपी मान सिंह ठाकुर के निलंबन की मांग पर अड़ गए हैं।
लगातार कर रहे मारपीट भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं व हिंदू संगठन के साथ लगातार मारपीट की जा रही है। एक ही महीने में चार बार संगठन के नेताओं पर लाठी चार्ज किया गया प्रभारी मंत्री आए थे, उसी दिन पुलिस ने कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर लाठी से पीटा।
– हिम्मत कोठारी, पूर्व गृहमंत्री
– हिम्मत कोठारी, पूर्व गृहमंत्री
लड़की का मामला थाने पर एक लड़की का मामला था जिसके चलते दो पक्षों की भीड़ थी। बाहर जाने का पुलिसकर्मी ने बोला तो अभद्रता करने लगे। विवाद कर गला पकड़ लिया , पुलिस ने सख्ती से भगाया था। बैरक में कपड़े उतारकर क्यों बैठे थे, ये नहीं पता।
– मानसिंह ठाकुर, सीएसपी
– मानसिंह ठाकुर, सीएसपी