नोटबंदी व जीएसटी से अभी उबर ही रहा था रियल एस्टेट सेक्टर
फिलहाल गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान संकट के दौर से गुजर रहे हैं। एेसे में इन संस्थानों से डवलपर्स द्वारा कर्ज लिए जाने के रेट में गिरावट देखने को मिल रहा है। अनाराॅक प्राॅपर्टी कंस्ल्टेंट प्राइवेट के अनुज पूरी का कहना है कि इन वजहाें से छोटे एवं मध्य अवधि में रियल एस्टेट ग्रोथ को झटका लग सकता है। अनाराॅक के मुताबिक सितंबर माह तक देश के रियल एस्टेट सेक्टर में अपार्टमेंट सेल्स में 8 फीसदी तक की तेजी दर्ज की गर्इ थी। इसके साथ ही 18 फीसदी की तेजी से नए प्रोजेक्ट लाॅन्च हुए। नवंबर 2016 में हुए नोटबंदी व जुलार्इ 2017 में नए अप्रत्यक्ष कर प्रणाली (जीएसटी) के लाॅन्च होने के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में यह पहला ग्रोथ रहा है।
बैंकों के मुकाबले 10 गुना अधिक तेजी से गैर-बैंकिंग संस्थानों ने बांटा कर्ज
मौजूदा समय में उन कंपनियों को सबसे अधिक रिस्क का सामना करना पड़ रहा है जिनके प्रोजेक्ट्स में देरी हो रही है या फिर जो प्रोजेक्ट्स अंडरकंस्ट्रक्शन हैं। एक डेटा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2014 से लेकर वित्त वर्ष 2018 के दौरान गैर-बैकिंग वित्तीय संस्थानों ने 45 फीसदी की ग्रोथ रेट से रियल एस्टेट को कर्ज दिया था। बैंकों के 4.7 फीसदी के मुकाबले ये करीब 10 गुना अधिक था।
अधर में लटका है 4.64 खरब का आवासीय प्रोजेक्ट
अनाराॅक की एक डेटा के मुताबिक, करीब 4.64 खरब रुपए का आवासीय प्रोजेक्ट अनिश्चित स्थिति में फंसा हुआ है। जेपी इन्फ्राटेक लिमिटेड व यूनीटेक लिमिटेड उन डेवलपर्स में प्रमुख है जिन्हे हाेमबायर्स ने कोर्ट में घसीटा है। कुछ अन्य जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में अंडर कंस्ट्रक्शन प्राॅपर्टीज की कीमतों में 5 से 10 फीसदी का अंतर देखने को मिल सकता है। उधार पर लगे रोक से अधिकांशतः छोटे व मझोले साइज के डवलपर्स पर असर देखने को मिल सकता है। वहीं बड़े डवलपर्स पर इसका कुछ खास असर नहीं होगा।