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ट्रेडिशनल अप्रोच के साथ इनोवेशन की जरूरत

Published: Oct 07, 2017 12:34:37 pm

ग्रीन बिल्डिंग कांग्रेस में एक्सपर्ट्स ने रखे विचार

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सस्टेनेबल डवलपमेंट या ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट को डवलप करने के लिए अब सभी देश बात कर रहे हैं, लेकिन इसे पाने के लिए अब हमें नए तरीकों से सोचना होगा। इंडिया के परिप्रेक्ष्य में बात की जाए, तो हम पाते हैं कि यहां शुरू से सस्टेनेबल डवलपमेंट और फ्यूचरिस्ट सोच के साथ काम करते आए हैं। देश के ऐसे कई मॉन्यूमेंट्स और धरोहर हैं, जो उसे बताते हैं, लेकिन वर्तमान युग में ट्रेडिशनल वर्क स्टाइल के साथ मॉडर्निटी और इनोवेशन को भी जोडऩा होगा। इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) की ओर से आयोजित ग्रीन बिल्डिंग कांग्रेस में शुक्रवार को इसी तरह के विचार रखे गए।
इस दौरान गोवर्धन इको विलेज के गौरांग दास ने ‘इको-विलेज : ए स्टैंडिंग एग्जाम्पल ऑफ लो कार्बन फ्यूचर’ विषय पर कहा कि नैचुरल रिसोर्सेज की अपनी एक ताकत है, जिसे हमें समझना होगा। उन्होंने कहा कि इको-विलेज की कल्पना के दौरान शुरुआत में कठिनाइयां भी आई, लेकिन धीरे-धीरे अवेयरनेस और थॉट डवलपमेंट के बाद हम इसे साकार कर पाए। हमने गांव के लोगों से यही बात कही कि आप वेस्ट को इधर-उधर ना फेंके। हमें दें और धीरे-धीरे आज यही वेस्ट बेस्ट बन गया और रीसाइकिल कर इसे रिसोर्सेज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, जो सस्टेनेबिलिटी, एन्वायर्नमेंट फ्रेंडली एटमॉस्फियर और ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट को डवलप करने में महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।
ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल ऑफ मॉरीशस के चेयरमैन टोनी ली ने कहा कि वर्तमान समय में हम ट्रेडिशनल तरीकों और ऑब्जेक्ट्स से पूरी तरह इस मिशन में कामयाब नहीं हो सकते हैं। सभी इस संबंध में विचार करें कि किस तरह लोगों को नए ऑब्जेक्ट्स दिए जा सकें और ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट को डवलप किया जा सके। एग्जाम्पल के तौर पर हमारा ध्यान एन्वायर्नमेंट के अलावा हेल्थ और चाइल्ड लेबर जैसे कई ऑस्पैक्ट्स पर होना चाहिए। साथ ही इनोवेशन और टेक्नोलॉजी की मदद भी लेनी चाहिए।
प्रो. कृष्णन भास्कर ने एलईडी टेक्नोलॉजी और सोलर एनर्जी पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि २०२० में इंडिया कोल का लार्जेस्ट इम्पोर्टर बन जाएगा। इंडिया में नैचुरल रिसोर्सेज की कमी नहीं है, जरूरी है कि इन्हें मैनेजमेंट को समझाकर सही उपयोगिता दर्शाई जाए। वहीं आईजीबीसी मुंबई चेयर गुरमीत सिंह अरोड़ा और चेन्नई चेयर सी.एन. राघवेन्द्रन ने भी विचार रखे।
चेंजेज को किया जाता है अडॉप्ट
पैनल डिस्कशन ‘स्प्रिट ऑफ राजस्थान’ में राजस्थान रिवर बेसिन और वॉटर रिसोर्सेज प्लानिंग अथॉरिटी के श्रीराम वेदरी ने अपने वॉटर प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा कि राजस्थान में यह प्रोजेक्ट इसलिए कारगर सिद्ध हुआ, क्योंकि यह ट्रेडिशनली स्ट्रॉन्ग है। अब हमारा फोकस ट्रेडिशनल और इनोवेशन के जरिए रिसोर्सेज को बढ़ावा देना है, जिसमें सभी को भागीदारी दिखानी होगी।
रीमा हूजा ने कहा कि राजस्थान में हॉस्पिटैलिटी संस्कृति का हिस्सा है। यहां खास बात यह है कि यहां बदलावों को आसानी से अडॉप्ट और एक्सेप्ट किया जा रहा है। स्पीकर बसंत खेतान ने कहा कि नैचुरल रिसोर्स को बचाने के लिए हम सभी को जिम्मेदारी निभाने के साथ दूसरों को भी अवेयर करना होगा। यहां इसका प्रभाव भी दिखता है। ऑथर तृप्ति पांडे ने कहा कि राजस्थान कई खूबियों के लिए जाना जाता है। आप इसे मारवाड़ी बनिया कम्यूनिटी की कम्यूनिटी बॉन्डिंग और वीरता के किस्से, दोनों के जरिए समझ सकते हैं।
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