रियल एस्टेट एक्सपर्ट मुकेश कुमार झा ने बताया कि अभी रेडी टू मूव प्रॉपर्टी में घर खरीदारों को इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलता है। जीएसटी में आने के बाद खरीदार को भी इनपुट क्रेडिट का लाभ मिलेेगा। इससे उसकी टैक्स देनदारी कम होंगी। यानी, वह कम बजट में भी अपने सपने का घर खरीद पाएगा।
रजिस्ट्रेशन टैक्स लगभग एक फीसदी होता है, जो अलग-अलग राज्यों के नियमों के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसे जमा करने के लिए खरीदार और विक्रेता दोनों को प्रॉपर्टी के लेनदेन से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों,स्टांप ड्यूटी चुकाने की रसीद कॉपी और परिचय पत्र के साथ रजिस्ट्रार ऑफिस में रहना होता है।
रियल एस्टेट एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा के मुताबिक जीएसटी आने के बाद टैक्स का बोझ घर खरीदार पर काफी कम हो सकता है। ऐसा इसलिए कि इनपुट क्रेडिट का लाभ सप्लायर्स से लेकर बिल्डर को मिलेगा। होम बायर्स सबसे अंत में आएगा। यानी, उसको सबसे कम टैक्स का भुगतान करना होगा। ऐसा होने से घर खरीदने की लागत कम होगी जिससे वह कम बजट में भी अच्छी प्रॉपर्टी का सौदा कर सकेगा।
स्टांप ड्यूटी सेल एग्रीमेंट पर लगाई जाती है ताकि खरीदने और बेचने वाले को एक कानूनी प्रक्रिया में जोड़ा जा सके। इसकी गणना प्रॉपर्टी के बाजार भाव या एग्रीमेंट में दर्शाई गई कीमत (दोनों में से जो ज्यादा हो) के हिसाब से लगाई जाती है। रजिस्ट्रेशन ऑफिसर रेडी रेकनर रेट (आरआर रेट) के आधार पर बाजार भाव निर्धारित करते हैं। विभिन्न राज्यों में स्टांप ड्यूटी शुल्क तीन से सात फीसदी के बीच अलग-अलग है।