इपसोस पब्लिक अफेयर्स के कार्यकारी निदेशक पारिजात चक्रवर्ती ने कहा, ”साइबर दादागिरी एक गंभीर मुद्दा है और बच्चा न केवल सोशल नेटवर्किंग साइटों पर, बल्कि मोबाइल, ऑनलाइन मैसेजिंग, ईमेल, वेबसाइट्स, ऑनलाइन चैट रूम आदि पर भी पीडि़त हो सकता है।”
इस अध्ययन से यह भी पता चला कि भारत में साल 2011 से ऐसे माता-पिताओं का प्रतिशत बढ़ गया है, जिन्होंने अपने बच्चे या अपने समुदाय के किसी बच्चे के साथ साइबर दादागिरी की घटना की जानकारी दी है।
वर्तमान अध्ययन में बताया गया है कि दो माता-पिताओं में से एक ने अपने समुदाय में ऐसे बच्चे की जानकारी दी, जिसे साइबर दादागिरी से पीडि़त किया गया है, जबकि साल 2011 में यह आंकड़ा 45 फीसदी था।
अध्ययन से पता चला कि 37 फीसदी भारतीय प्रतिभागियों ने इस बारे में कहा कि उनका खुद का बच्चा साइबर दादागिरी का शिकार हुआ है। जबकि यह आंकड़ा 2011 में 32 फीसदी था।