नई दिल्ली। दिनांक 26 को आमलकी एकादशी है और इस दिन आंवले की पूजा करने का विशेष महत्व है। आंवले के वृक्ष को स्वयं भगवान विष्णु द्वारा अवतरित माना गया है इसलिए यदि इसदिन व्रत कर विधि-विधान से पूजा की जाएं तो निश्चित रूप से इंसान को लाभ पहुंचता है और मनोकामना पूरी होती है। यदि किसी इंसान को भगवान विष्णु की कृपा मिल जाएं तो उसकी पूरी जिंदगी सफल हो जाती है।
आंवला एकादशी के बारे में कहा जाता है कि ये न केवल जीवनकाल में लाभ पहुंचाता है बल्कि मरणोपरांत भी परलोक में उसे शान्ति मिलती है। आंवला एकादशी की पूजा के लिए कुछ खास तिथियां सुनिश्चित की गई हैं। इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर लोगों को भोजन करवाना चाहिए और लोगों के बाद स्वयं भी इसी इसी पेड़ के नीचे बैठकर भगवान का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए, इससे न केवल स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है बल्कि कई जन्मों के पापों का भी विनाश होता है।
पद्म पुराण के अनुसार अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इससे भगवान श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और व्रत का पालन करने वाले को वरदान देते हैं। यदि किसी कारणवश इस दिन आपको आंवले का वृक्ष न मिल पाएं तो प्रसाद के रूप में आंवला ही श्रीहरि को चढ़ाएं और इस दिन आंवले का सेवन करें इससे भी भक्त को सफलता मिलती है और उसका परलोक जीवन भी सुधर जाती है।
फाल्गुन शुक्ल की इस एकादशी पर प्रसाद के रूप में भगवान विष्णु को आंवले अर्पित करना भी अत्यन्त लाभकारी बताया गया है। शास्त्रों में इस बात की मान्यता है कि विधि पूर्वक इन कार्यों को करने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और यदि अंजाने में आपसे कोई गलती हो जाएं तो उस पाप से भी छुटकारा मिलता है।