अवतरण कथा
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर श्रीगणेश का जन्म हुआ था। देवी पार्वती स्नान करने से पूर्व एक बालक का निर्माण करती हैं और उसे अपना द्वारपाल बनाती हैं। जब शिवजी आए तो गणेशजी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया। इससे शिवजी क्रोधित हुए और बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। भगवती के दुख को दूर करने के लिए शिवजी के निर्देश अनुसार उनके गण उत्तर दिशा में मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आए और शिवजी ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर दिया।
दूर्वा के बिना गणेशजी की पूजा अधूरी होती है। गणपति पर तुलसी नहीं चढ़ाई जाती। शुभ मुहूर्त में श्रीगणेश स्थापना विधिवत संकल्प लेकर करनी चाहिए। पंचोपचार अथवा षोषणोपचार पूजन के साथ भगवान का विग्रह में आह्वान करते हैं। गंगा जल, पान, फूल, दूर्वा आदि से पूजन किया जाता है। भगवान गणेश पर सिंदूर चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं। भगवान को लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए। श्रीगणेश मंत्र का पाठ करना चाहिए।
चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन मिथ्या कलंक देने वाला होता है। इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध होता है। इस चतुर्थी को कलंक चौथ (दगड़ा चवथ) के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण भी इस तिथि पर चंद्र दर्शन के बाद मिथ्या कलंक के भागी बने।
गणेश जी की मूर्ति की स्थापना के समय इस बात का ध्यान रखें कि उनकी सूंड बाईं ओर घूमी हुई हो। दाएं हाथ की ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेश जी हठी माने जाते हैं। घर में श्री गणेश का चित्र लगाते समय ध्यान रखें कि चित्र में मोदक और चूहा अवश्य हो। इससे घर में बरकत रहती है। घर में खुशहाली बनाए रखने के लिए अपने घर सफेद रंग की मूर्ति लाएं। घर के केंद्र में और पूर्व दिशा में चित्र जरूर लगाना चाहिए।
यहां भी विराजेंगे
शहर में अनेक जगहों पर विशाल प्रतिमा भव्य पांडालों में विराजेंगी। दशहरा मैदान में अयोध्या के राजा, पालदा के राजा, जयरामपुर कॉलोनी, गांधी हॉल में इंदौर के राजा, मूसाखेड़ी के राजा सहित कई जगहों पर विशाल प्रतिमाएं विराजित की जाएंगी।
गणेशोत्सव को लेकर साल में दो बार विशेष शृंगार होता है। इस बार ४८ घंटे में मोतियों और हीरे-जेवरात से विशेष शृंगार किया गया है। एक-एक मोती को लगाने में काफी समय लगता है। दस दिनों तक सोने के मुकुट में गणेशजी दर्शन देंगे। महाकाल की तर्ज पर भक्तों के दर्शन की व्यवस्था की गई है। हर दिन लड्डुओं के भोग के साथ विशेष आरती होगी। यहां दूर-दूर से भक्त आशीर्वाद लेने आते हैं। गणेश जी सबकी मुराद पूरी करते हैं।
पं. अशोक भट्ट, पुजारी, खजराना गणेश मंदिर