scriptविचार मंथन : नंगे पैर संत के दर्शन को जाने से 100 अश्वमेध का फल मिलता है- द्रौपदी | daily thought vichar manthan dropadi | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

विचार मंथन : नंगे पैर संत के दर्शन को जाने से 100 अश्वमेध का फल मिलता है- द्रौपदी

नंगे पैर संत के दर्शन को जाने से 100 अश्वमेध का फल मिलता है- द्रौपदी

भोपालJun 14, 2019 / 06:06 pm

Shyam

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : नंगे पैर संत के दर्शन को जाने से 100 अश्वमेध का फल मिलता है- द्रौपदी

बात उस समय की है जब महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद पांडवो ने अश्मेघ यज्ञ किया! भगवान् श्रीकृष्ण जी ने कहा- ये यज्ञ तब पूरा माना जायेगा जब इस धरा के सभी ऋषि यहां भोजन ग्रहण करेंगे और आसमान में घंटा बजेगा! तब पांडवो ने सभी ऋषियों को भोजन करवाया परन्तु घंटा नहीं बजा, तब उन्होंने “भगवान् श्रीकृष्ण” जी से पूछा की कहां कमी रह गई! तब “भगवान् श्रीकृष्ण” जी ने अंतर्ध्यान हो कर देखाऔर कहा की- दूर एक जंगल में सुपच नाम के महामुनि बैठे है वो रह गए है इसलिये घंटा नहीं बजा! पांडवो ने दूत भेज कर महामुनि को भोजन के लिए निमंत्रण भेजा ऋषि सुपच ने दूत को कहा की उनको स्वयं आना चाहिए था और दूत को वापिस भेज दिया।

 

तब पांडवो ने स्वयं महामुन को भोजन के लिए निमंत्रण दिया! परन्तु ऋषि सुपच ने शर्त रखी की वे तब ही जायेंगे जब उन्हें 100 अश्वमेघ यज्ञों का फल मिलेगा पांडव परेशान हो कर वापिस आ गए सारी बात “भगवान् श्रीकृष्ण” जी को बताई। जब ये बात द्रौपदी को पता लगी तो द्रौपदी ने कहा ये मेरे ऊपर छोड दो! तब द्रौपदी ने नंगे पैर कुए से पानी लाकर खाना पकाया और नंगे पैर चल कर ऋषि सुपच को बुलाने के लिए गई वहा ऋषि सुपच ने फिर वही शर्त बताई तो द्रौपदी ने कहा की मैंने आप जैसे किसी साधू से सुना है की..

 

जब कोई नंगे पैर आप जैसे किसी महान संत के दर्शन करने जाता है तो उसका एक एक कदम एक एक अश्वमेघ यज्ञ के बराबर है इस तरह आप अपने १०० अश्वमेघ यज्ञ का फल लेकर बाकि मुझे दे दे! इस तरह मुनि सुपच जी द्रौपदी की बात सुनकर द्रोपदी के साथ आ गए जब उनको खाना परोसा गया तो उन्होंने पांडवो और सारी रानियों द्वारा बनाये गए खाने को मिला लिया और खाना शुरू कर दिया, ये सब देखकर द्रौपदी के मन आया की अगर एक एक करके खाते तो द्रौपदी द्वारा बनाये गए खाने के स्वाद का भी पता लगता की कितना स्वादिष्ट बना है!

 

इस दोरान ऋषि ने खाना समाप्त कर दिया परन्तु घंटा फिर भी नहीं बजा! तो पांडवो ने “भगवान् श्रीकृष्ण” जी से पूछा की अब क्या कमी रह गई? “भगवान् श्रीकृष्ण” ने कहा की ये तो सुपच जी ही बतायेगे! इस पर ऋषिसुपच ने उन्हे जवाब दिया की ये तो द्रौपदी से पूछ लो की घंटा क्यों नहीं बजा! इस तरह जब द्रौपदी को इस बात का अहसास हुआ तो उन्होंने सुपच जी से अपने अहंकार के लिए माफ़ी मांगी तो असमान में घंटा बजा और उनका यज्ञ पूरा हुआ!

Home / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / विचार मंथन : नंगे पैर संत के दर्शन को जाने से 100 अश्वमेध का फल मिलता है- द्रौपदी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो