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विचार मंथन : अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को- महाकवि महादेवी वर्मा

अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को- महाकवि महादेवी वर्मा

भोपालNov 12, 2018 / 05:29 pm

Shyam

Daily Thought Vichar Manthan

विचार मंथन : अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को- महाकवि महादेवी वर्मा

नारी-चेतना की ‘अद्वितीय विचारक’ महाकवि महादेवी वर्मा

गृहिणी का कर्त्तव्य कम महत्वपूर्ण नहीं है, यदि स्वेच्छा से स्वीकृत हो । प्रत्येक विज्ञान में क्रियात्मक कला का कुछ अंश अवश्य होता है । एक निर्दोष के प्राण बचानेवाला असत्य उसकी अहिंसा का कारण बनने वाले सत्य से श्रेष्ठ होता है । विज्ञान एक क्रियात्मक प्रयोग है । आज हिन्दू –स्त्री भी शव के समान निःस्पंद है । क्या हमारा जीवन सबका संकट सहने के लिए है? कला का सत्य जीवन की परिधि में, सौंदर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखंड सत्य है ।

 

अपने विषय में कुछ कहना पड़े : बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि अपने दोष देखना आपको अप्रिय लगता है और उनको अनदेखा करना औरों को । वे मुस्कुराते फूल, नहीं जिनको आता है मुरझाना, वे तारों के दीप, नहीं जिनको भाता है बुझ जाना । मैं किसी कर्मकांड में विश्वास नहीं करती. …मैं मुक्ति को नहीं, इस धूल को अधिक चाहती हूँ । प्रत्येक गृहस्वामी अपने गृह का राजा और उसकी पत्नी रानी है, कोई गुप्तचर, चाहे देश के राजा का ही क्यों न हो, यदि उसके निजी वार्ता को सार्वजनिक घटना के रूप में प्रचारित कर दे, तो उसे गुप्तचर का अनधिकार, दुष्टाचरण ही कहा जाएगा ।

 

एक पुरुष के प्रति अन्याय की कल्पना से ही सारा पुरुष-समाज उस स्त्री से प्रतिशोध लेने को उतारू हो जाता है और एक स्त्री के साथ क्रूरतम अन्याय का प्रमाण पाकर भी सब स्त्रियाँ उसके अकारण दंड को अधिक भारी बनाए बिना नहीं रहती । इस तरह पग-पग पर पुरुष से सहायता की याचना न करने वाली स्त्री की स्थिति कुछ विचित्र सी है । वह जितनी ही पहुंच के बाहर होती है, पुरुष उतना ही झुंझलाता है और प्राय: यह झुनझुलाहत मिथ्या अभियोगों के रूप में परिवर्तित हो जाती है ।


मैं नीर भरी दुःख की बदली !
विस्तृत नभ का कोना कोना,
मेरा कभी न अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही,
उमड़ी थी कल मिट आज चली ।।

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