यह समय युगपरिवर्तन जैसे महत्त्वपूर्ण कार्य का है। इसे आदर्शवादी कठोर सैनिकों के लिए परीक्षा की घड़ी कहा जाए, तो इसमें कुछ भी अत्युक्ति नहीं समझी जानी चाहिए । पुराना कचारा हटता है और उसके स्थान पर नवीनता के उत्साह भरे सरंजाम जुटते हैं । यह महान् परिवर्तन की-महाक्रांति की वेला है । इसमें कायर, लोभी, डरपोक और भाँड़ आदि जहाँ-तहाँ छिपे हों तो उनकी ओर घृणा व तिरस्कार की दृष्टि डालते हुए उन्हें अनदेखा भी किया जा सकता है ।
यहाँ तो प्रसंग हथियारों से सुसज्जित सेना का चल रहा है । वे ही यदि समय को महत्त्व व आवश्यकता को न समझते हुए, जहाँ-तहाँ मटरगस्ती करते फिरें और समय पर हथियार न पाने के कारण समूची सेना को परास्त होना पड़े तो ऐसे व्यक्तियों पर तो हर किसी का रोष ही बरसेगा, जिनने आपातस्थिति में भी प्रमाद बरता और अपना तथा अपने देश के गौरव को मटियामेट करके रख दिया ।