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विचार मंथन : प्रसन्न रहना सीखें, मुस्कान वह दवा है जो गंभीर रोगों को भी जड़ से उखाड़ फेकती है-आचार्य श्रीराम शर्मा

गम्भीर न रहें, प्रसन्न रहना सीखें

भोपालJun 20, 2019 / 06:04 pm

Shyam

daily thought vichar manthan pt. shriram sharma acharya

विचार मंथन : प्रसन्न रहना सीखें, मुस्कान वह दवा है जो गंभीर रोगों को भी जड़ से उखाड़ फेकती है-आचार्य श्रीराम शर्मा

कुछ लोग बोझिल मन से परेशान रहते हैं, ऐसे लोगों को प्रसन्न रहने की कला सीखनी चाहिए। यह अभ्यास करने के लिए आज और अभी से तैयार हुआ जा सकता है। दैनिक जीवन में जिससे भेंट हो उससे यदि मुस्कराते हुए मिला जाय तो बदले में सामने वाला भी मुस्कराहट भेंट करेगा। उसे हल्की-फुल्की बात करने में झिझक नहीं महसूस होगी और इस तरह अपने मन का भारीपन काफी दूर होगा।

 

अगर कोई चेहरे पर चौबीसों घण्टे गमगीनी लादे रहे तो धीरे-धीरे उसके सहयोगियों की संख्या घटती चली जाती है। यदि प्रतिक्षण प्रसन्नता बांटते रहने का न्यूनतम संकल्प शुरू किया जाय तो थोड़े दिनों के प्रयास से ही आशातीत परिणाम मिलने लगेंगे।

 

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डेल कार्नेगी कहते थे कि भूतकाल पर विचार मत करो, क्योंकि अब वह फिर कभी लौटकर आने वाला नहीं है। इसी प्रकार भविष्य के बारे में साधारण अनुमान लगाने के अतिरिक्त बहुत चिन्तित एवं आवेशग्रस्त होना व्यर्थ है। क्योंकि कोई नहीं जानता कि परिस्थितियों के कारण वह न जाने किस ओर करवट लें। हमें सिर्फ वर्तमान के बारे में सोचना चाहिए और वही करना चाहिए जो आज की परिस्थितियों में सर्वोत्तम ढंग से किया जा सकता है। हमारी आशा कुछ भी क्यों न हो प्रसन्नता के केन्द्र वर्तमान के प्रति जागरूकता बरतना और सर्वोत्तम ढंग से निर्वाह करना ही होना चाहिए।

 

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प्रसन्नचित्त रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक आवश्यक है। उदासीन रहने वालों की अपेक्षा खुशमिज़ाज लोग अक्सर अधिक स्वस्थ, उत्साही और स्फूर्तिवान् पाये जाते हैं। गीताकार ने प्रसन्नता को महत्वपूर्ण आध्यात्मिक सद्गुण माना है और कहा है कि प्रसन्न चित्त लोगों को उद्विग्नता नहीं सताती एवं उन्हें जीवन में दुःख भी कभी सताते नहीं।

 

अकारण भय, आशंका, क्रोध, दुश्चिन्ता आदि की गणना मानसिक रोगों में की जाती है। जिस प्रकार शारीरिक रुग्णता का लक्षण मुख-मण्डल पर दृष्टिगोचर होता है, उसी प्रकार मन की रुग्णता भी चेहरे पर झलकती है। मनोविज्ञानी डा. लिली एलन के अनुसार ‘मुस्कान वह दवा है जो इन रोगों के निशान आपके चेहरे से ही नहीं उड़ा देगी वरन् इन रोगों की जड़ भी आपके अन्तः से निकाल देगी।

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