गांधी का स्वदेश आन्दोलन
आज जब ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक फ़ॉर इंडिया’ के बीच बहस ज़ारी है, हम बात जान लें कि गोखले पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ‘स्वदेशी’ विचार पर ज़ोर दिया। राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति और इतिहासकार प्रोफेसर केएल कमल कहते हैं – ‘उन्होंने स्वदेशी को प्रोत्साहन देते हुए बताया कि यह देशभक्ति के साथ-साथ एक आर्थिक आंदोलन भी है.’ प्रोफेसर कमल उन्हें उदारवादियों का सिरमौर और भारत के संवैधानिक विकास का जनक मानते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने कोई नया सिद्धांत नहीं दिया बल्कि भारतीय परिवेश में पाश्चात्य राजनैतिक परंपरा के विलय की बात कही थी।
गांधी जी गोखले को सलाह
गोखले गांधी से लगभग ढाई साल बड़े थे, गांधी ने अपनी क़िताब ‘स्वराज’ में लिखा है – ‘एक बार मैंने उन्हें घोड़ा-गाड़ी के बजाय ट्रेन (कलकत्ता में चलने वाली छोटी ट्रेन) से सफ़र करने की सलाह दी.’ वे आगे लिखते हैं – ‘गोखले दुखी हो गए और कहा, क्या तुम भी मुझे नहीं पहचान पाए? मैं जो भी कमाता हूं सब अपने आप पर नहीं खर्च करता। घोड़ा-गाड़ी से इसलिए चलता हूं कि कई लोग मुझे जानते हैं और अगर मैं ट्रेन में सफ़र करूं तो मेरे साथ अन्य यात्रियों को काफी दिक्कतें होंगी। जब तुम्हें काफी लोग जानने लग जायेंगे तब इसका अहसास होगा.’ और ऐसा हुआ भी।
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