प्रार्थना का अर्थ है अपने इष्ट से श्रद्धा भाव, आदरपूर्वक अपनी मन की बात कहना और अपनी गलतियों के लिए माफी मांगना है। मनुष्य के जीवन में प्रार्थना के क्षण बड़े ही कीमती होते हैं। प्रार्थना मनुष्य को विनम्र और शान्त बनने में सहायक होती है और यह माध्यम है जिसके द्वारा हम इस विश्व ब्रह्मांड की सर्व शक्तिमान सत्ता के साथ अपना एक संबंध जोडऩे का प्रयास करते हैं। इस दौरान हम इस बात का अनुभव करते हैं कि उस परमपिता की इच्छा के बिना हमारा जीवन एक पल भी नहीं चल सकता है।
जो मनुष्य सच्चे हृदय से पूर्ण धैर्य और श्रद्धा के साथ ईश्वर की प्रार्थना करते हैं, उन्हें अपने जीवन में ईश्वर की पवित्र उपस्थिति अनुभव अवश्य होता है। जो लोग ईश्वर के अस्तित्व को सतत् अपने भीतर अनुभव करते हैं और सच्चाई व ईमानदारी से जीवन यापन करते हैं, उनके लिए कुछ क्षण ही प्रभु का स्मरण करना ही पर्याप्त है। जो केवल पाप कर्म ही करते हैं, उनके लिए तो प्रार्थना के 24 घंटे भी कम होंगे। बापू एक गहरी बात कहते थे कि हम साधारण वर्ग के मनुष्यों के लिए एक मध्य का मार्ग है प्रार्थना।