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अजमेर में 40 साल बाद हुआ दिगम्बर जैन मुनि का अंतिम संस्कार, श्रद्धालुओं ने दी विदाई

दिगम्बर जैन संत की अंतिम यात्रा में श्रावक-श्राविकाएं उमड़े। कई श्रावक तो छोटा धड़ा नसियां से वैशाली नगर तक साथ चले। इस दौरान पालकी, अंतिम संस्कार प्रक्रिया और अन्य में भाग लिया।  दिगम्बर जैन मुनि संप्रतिष्ठ सागर ने सोमवार को देह त्याग दी। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोगों ने छोटा धड़ा […]

अजमेरMay 06, 2024 / 08:10 pm

raktim tiwari

jain saint death

jain saint death

दिगम्बर जैन संत की अंतिम यात्रा में श्रावक-श्राविकाएं उमड़े। कई श्रावक तो छोटा धड़ा नसियां से वैशाली नगर तक साथ चले। इस दौरान पालकी, अंतिम संस्कार प्रक्रिया और अन्य में भाग लिया।

 दिगम्बर जैन मुनि संप्रतिष्ठ सागर ने सोमवार को देह त्याग दी। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोगों ने छोटा धड़ा नसियां में श्रीफल अर्पित किए। बाद में छतरी योजना स्थित आचार्य विद्यासागर तपोवन में उनका परम्परानुसार अंतिम संस्कार किया गया।
पिछले दिनों छोटाधड़ा नसियां में आचार्य सुनील सागर ससंघ के साथ मुनि संप्रतिष्ठ सागर का आगमन हुआ। सोमवार को उन्होंने देह त्याग दी। धार्मिक क्रियाओं के बाद बैंडबाजों संग पालकी में विराजित कर डोल यात्रा निकाली गई। अंतिम यात्रा में आचार्य सुनील सागर ससंघ सहित श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए।
नम आंखों से विदाई

इस दौरान पुष्प-सिक्के और गुलाल की वर्षा की गई। अंतिम यात्रा बजरंगगढ़ चौराहा, गौरव पथ-आनासागर लिंक रोड, आनंदनगर, शांतिपुरा, पार्श्वनाथ कॉलोनी होते हुए छतरी योजना स्थित आचार्य विद्यासागर तपोवन पहुंची। विधि-विधान से पूजन के बाद अंतिम संस्कार किया गया। जैन श्रावक-श्राविकाओं ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी।
अजमेर

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पारसोला में हुआ था जन्म

मुनि संप्रतिष्ठ सागर का जन्म विक्रम संवत 1998 में धनतेरस के दिन प्रतापगढ़ जिले की धरियावद स्थित पारसोला गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम मीठालाल बगेरिया तथा माता का नाम सोहन देवी था। इन्होंने आठवीं कक्षा के बाद जैन धर्म की 1-4 भाग धार्मिक शिक्षा प्राप्त की। आचार्य विद्यासागर से कोल्हापुर में ब्रह्मचर्य की दीक्षा ली। इसके बाद आचार्य सन्मति सागर से प्रतिमा व्रत लिया।
तेल दही का परित्याग

मुनि संप्रतिष्ठ सागर ने आजीवन तेल और दही के त्याग का संकल्प लिया था। उन्होंने क्षुल्लक दीक्षा 7 दिसम्बर 2020 को ली। मुनि दीक्षा 15 अक्टूबर 2021 को कुशलगढ़ के निकट अंदेश्वर पार्श्वनाथ में ली। वे आचार्य सुनील सागर के ससंघ में शामिल थे।
आचार्य विद्यासागर का अजमेर से गहरा संबंध

55 साल पहले अजमेर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से मुनि दीक्षा प्राप्त की थी। यह जैन समाज के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है। दीक्षास्थल पर हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष दर्शन के लिए आते हैं।आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को चिक्कोड़ीसदलगा जिला बेलगांव कर्नाटक प्रांत में मल्लप्पा और श्रीमंती जैन अष्टगे के घर जन्म हुआ। उनका नाम विद्याधर रखा गया। नवीं कक्षा तक लौकिक शिक्षा लेने के बाद 1966 में आचार्य देशभूषण महाराज से उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत लिया था। महावीर सर्किल के पास दीक्षास्थल पावन तीर्थ बन चुका है। यहां 71 फीट का कीर्ति स्तंभ और दीक्षा से जुड़ेभित्ति चित्र उकेरे गए हैं।पढ़ें
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प्रमुख तीर्थस्थल है अजमेर

अजमेर दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख तीर्थस्थल है। यहां ज्ञानोदय तीर्थ नारेली, सोनीजी की नसियां, छोटा और बड़ाधड़ा नसियां, विद्यासागर तपोवन सहित पार्श्वनाथ जैसवाल जैन मंदिर, नाका मदार अतिशय क्षेत्र, गुफा मंदिर सहित कई धार्मिक स्थल हैं। सालभर जैन धर्मावलंबी अजमेर पहुंचते हैं। सोनीजी की नसियां में सोने की स्वर्णिम अयोध्या नगरी है। इसमें सभी 24 तीर्थंकरों से जुड़ी झांकियां शामिल की गई हैं। शहर के ​विभिन्न कॉलोनी में भी जैन मंदिर बनाए गए हैं।

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