ये हैं कृष्ण की 16,100 रानियां
महाभारत तथा अन्य शास्त्रों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां एवं 16,100 रानियां थीं। विद्वानों के अनुसार कृष्ण की प्रमुख रानियां तो आठ ही थीं, शेष 16,100 रानियां प्रतीकात्मक थीं। इन 16,100 रानियां को वेदों की ऋचाएं माना गया है। ऐसा माना जाता है चारों वेदों में कुल एक लाख श्लोक हैं। इनमें से 80 हजार श्लोक यज्ञ के हैं, चार हजार श्लोक पराशक्तियों के हैं। शेष 16 हजार श्लोक ही गृहस्थों या आम लोगों के उपयोग के अर्थात भक्ति के हैं। जनसामान्य के लिए उपयोगी इन ऋचाओं को ही भगवान श्रीकृष्ण की रानियां कहा गया है।
आठ पटरानियों के ये हैं रहस्य
भगवान कृष्ण की पटरानियां वस्तुतः आठ ही थी। इनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रवृंदा, सत्या, रोहिणी तथा लक्ष्मणा हैं। कृष्ण की प्रमुख पटरानी के रूप में रूक्मिणी का नाम लिया जाता है। वह विदर्भ देश की राजकुमारी थी तथा मन ही मन कृष्ण को अपना पति मानती थी। इनका प्रेमपत्र पढ़ने के बाद कृष्ण ने इनका अपहरण कर रूक्मिणीजी से विवाह कर लिया था।
सूर्यपुत्री कालिन्दी कृष्ण की दूसरी पत्नी थी। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर कृष्ण ने इनसे विवाह किया था। कृष्ण की तीसरी पत्नी उज्जैन की राजकुमारी मित्रवृंदा थी, कृष्ण ने इन्हें स्वयंवर में विजेता बनकर अपनी पटरानी बनाया था। इन्हें स्वयंवर में भाग लेकर कृष्ण ने अपनी रानी बनाया था। चौथी पटरानी सत्या राजा नग्नजित की पुत्री थी। इनके पिता की शर्त के मुताबिक कृष्ण ने सात बैलों को एकसाथ नथ कर इनसे विवाह किया था।
पांचवी पटरानी के रूप में कृष्ण यक्षराज जाम्बवंत की कन्या जामवन्ती को ब्याह कर लाए थे। गय देश के राजा ऋतुसुकृत की पुत्री रोहिणी ने कृष्ण को स्वयंवर में वर कर विवाह किया था। कृष्ण की सातवीं रानी सत्यभामा राजा सत्राजित की पुत्री थी। उन्होंने कृष्ण तथा यादव राजवंश से मधुर संबंध बनाने के लिए ही अपनी पुत्री का विवाह कृष्ण से किया था। कृष्ण की आठवीं पटरानी लक्ष्मणा ने भी स्वयंवर में ही कृष्ण को अपना पति मानकर उनसे विवाह किया था।